जमशेदपुर : लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों के साथ भेदभाव क्यों आप जैसे जानते हैं कि 1000 मतदाताओं के वोट के अधिकार से वार्ड सदस्य को चुना जाता है 5000 मतदाताओं के अधिकार से मुखिया को चुना जाता है 50000 वोट के अधिकार से जिला परिषद चुना जाता है लगभग 300000 वोट के अधिकार से एक विधायक का चुना जाता है और लगभग 2000000 वोट के अधिकार से एक सांसद को चुना जाता है लेकिन दुर्भाग्य की बात है विधायक और सांसद कोई 1 दिन के लिए भी रहता है तो इसे वेतन और आजीवन पेंशन का अधिकार बनता है अगर वार्ड सदस्य मुखिया जिला परिषद पंचायत समिति सदस्य प्रमुख का वेतन अपने कार्यकाल के अंदर एक सरकारी मजदूर लैबर का 8 घंटा का ₹415 मिलता है।
उस हिसाब से पूरे महीने में ₹12450 मिलता है रहा वेतन की बात करें तो झारखंड सरकार का द्वारा नया वेतनमान इस प्रकार है वार्ड सदस्य प्रतिमाह ₹1000 पंचायत समिति सदस्य 1200 प्रति माह मुखिया 2500 प्रतिमाह उप मुखिया 1200 प्रतिमाह प्रमुख को 8000 प्रति माह उपप्रमुख को 4000 प्रति माह जिला परिषद अध्यक्ष 12000 प्रतिमाह जिला परिषद उपाध्यक्ष 10000 प्रतिमाह जिला परिषद 8000 प्रतिमाह जनप्रतिनिधि लोकतांत्रिक व्यवस्था से चुनकर जनता के द्वारा उनके वोटों के अधिकार से आते हैं इसके लिए सरकार सौतेला व्यवहार क्यों कर रही है इन्हें भी वेतन पेंशन अच्छी क्यों नहीं है मेरा मांग है कि उनको अच्छा वेतन और पेंशन लागू किया जाए।
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