जमशेदपुर : एक ऐसा अर्ध निर्मित मंदिर जहा उड़ीसा, बंगाल और झारखंड के राहगीर उम्मीद का एक ईट रखते है ताकि यह मंदिर एक दिन भव्य बने. राहगीरों की माने तो यह डेंजर घाटी है यहां आय दिन दुर्घटना घटती रहती है जब से भगवान को स्थान दिया गया तब से दुर्घटना में स्थिरता आई है इसी कारण इस रास्ते से आने जाने वाले लोग अपने घर से एक ईट लाते है और यहां रखते है।
यह मंदिर का दृश्य वीर हनुमान और माता काली की प्रतिमा को स्थान दिया गया है मगर घाटी क्षेत्र होने के कारण यहां लोगो का ठहराव नही होता है बताया जाता है की जमशेदपुर के पटमदा की इस घाटी में पहले आए दिन दुर्घटना होती थी कभी दो लोग तो कभी दस लोगो की मौत हो जाती रही थी. जिसके बाद क्षेत्र निवासी यहा संकटमोचन हनुमान जी को स्थापित किए फिर मां काली की प्रतिमा स्थापित की गई. अब जब भगवान को विराजित कर दिया गया तो मंदिर बनाने के लिए आर्थिक संकट दिखा जहा राहगीर वर्षो से इस कहानी को देखते सुनते आ रहे थे फिर कभी एक व्यक्ति फिर दो व्यक्ति अब तो कई लोगो को देखा जाता है यहां अपनी कार रोकते है और मंदिर में योगदान मात्र एक ईट जरूर रखते है।
वह भी इस उम्मीद पर की एक दिन इस पटमदा घाटी मंदिर का निर्माण जरूर होगा जो आज कई हजार ईट बन चुका है. जहा राहगीर बताते है यह एरिया बहुत डेंजर था मगर उम्मीद के एक ईट के प्रभाव और संकट मोचन की स्थापना के बाद दुर्घटनाओं की समाप्ति हुई है।
कहा जाता है ना जा कोई उम्मीद नही वहा भगवान का सहारा होता है वैसे इस अर्ध निर्मित मंदिर की थी लोग को दिखता ही नही था मगर आज यह एक चर्चा बना हुआ है।