लोकतंत्र सवेरा : जमशेदपुर : झारखंड का औद्योगिक और सांस्कृतिक केंद्र, कभी अपने खेल प्रेम और खिलाड़ियों की नर्सरी के रूप में जाना जाता था। लेकिन अब स्थिति चिंताजनक हो चुकी है। शहर में खेल के मैदानों की संख्या लगातार घट रही है, और जो कुछ मैदान बचे हैं, वे भी शादी, समारोह, राजनीतिक कार्यक्रमों और अन्य आयोजनों के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं।
खिलाड़ियों की दुर्दशा…..
स्थानीय खिलाड़ियों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। अभ्यास और खेल गतिविधियों के लिए मैदान ढूंढना चुनौती बन गया है। फुटबॉल, क्रिकेट, एथलेटिक्स और अन्य खेलों में अपना करियर बनाने का सपना देखने वाले युवाओं को सही स्थान नहीं मिल रहा। खिलाड़ियों का कहना है कि पहले जो मैदान उनके लिए खुला रहता था, अब वह या तो निजी उपयोग में आ चुका है, या उसे शादी और पार्टियों के लिए किराए पर दिया जा रहा है।
मैदानों का उपयोग : खेल बनाम आयोजन….
शहर के प्रमुख मैदान, जैसे कि जेआरडी ग्राउंड, गोपाल मैदान, और कीताडीह मैदान, एग्रिको ट्रांसपोर्ट मैदान, अक्सर आयोजनों के लिए आरक्षित कर दिए जाते हैं। एक तरफ जहां इस तरह के आयोजन से मोटा रकम मिलता है, वहीं दूसरी तरफ खेल गतिविधियों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
खिलाड़ियों का दर्द…..
स्थानीय क्रिकेट खिलाड़ी कहते हैं, “हर रोज हम लोग सुबह शाम खेलते है. और इस तरह के बराबर आयोजन से हमलोगों का खेल प्रभावित होता है. हर हफ्ते दिन के बाद पता चलता है कि वहां शादी या पार्टी का आयोजन हो रहा है. जिससे हमें खेलने के लिए दूसरा मैदान ढूंढना पड़ता है।
संरक्षण की जरूरत…..
विशेषज्ञों का मानना है कि खेल मैदान केवल खिलाड़ियों के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं। वे न केवल बच्चों और युवाओं को खेल के माध्यम से स्वस्थ जीवनशैली अपनाने में मदद करते हैं, बल्कि समाज में खेल संस्कृति को भी बढ़ावा देते हैं।
क्या हो सकता है समाधान?
- खेल मैदानों की सुरक्षा: प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए कि खेल के मैदानों का उपयोग केवल खेल और संबंधित गतिविधियों के लिए हो।
- स्थायी नीति: एक ठोस नीति बनाई जाए, जिसमें खेल मैदानों के उपयोग के लिए नियम और प्रतिबंध स्पष्ट हों।
- नए मैदानों का निर्माण: खिलाड़ियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, शहर में नए खेल मैदान विकसित किए जाएं।
- समुदाय की भागीदारी : स्थानीय लोग भी यह सुनिश्चित करें कि उनके इलाके के मैदानों का उपयोग सही उद्देश्य के लिए हो।
अंत में जमशेदपुर के लिए खेल के मैदान केवल मिट्टी का टुकड़ा नहीं, बल्कि खेल प्रतिभाओं के निर्माण का केंद्र हैं। यदि समय रहते इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो आने वाले दिनों में जमशेदपुर की पहचान और गौरव, जो खेलों से जुड़ा है, धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा।