जमशेदपुर : मेरे राजनीतिक जीवन के आप सिर्फ अभिभावक न थे, बल्कि संघर्ष के जीवन से लेकर विपरीत परिस्थितियों तक मेरे मार्गदर्शक रहे, जब भी चाहा आपका स्नेह आशीर्वाद और सानिध्य प्राप्त हुआ!


बाबूजी के जाने के बाद आपको अपना अभिभावक माना और एक अभिभावक रूपी पिता के रूप में आपने हमेशा स्नेह दिया, आज मन द्रवित हैं, मायूस हैं, दुःखी हैं, एक राजनीतिक शून्यता और नेपध्य के वातावरण के साथ झारखंड के हर कोने कोने से सुनाई दे रही हैं सिर्फ एक आवाज…. गुरूजी अमर रहे! शिबू सोरेन अमर रहे।

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