जमशेदपुर : घाटशिला में कई उम्मीदवार अपना दावा ठोक रहे हैं जिसमें लक्ष्मण टुडू, लखन चंद्र मांडी, बाबूलाल सोरेन, डॉ सुनीता देवदूत सोरेन, भुक्तु मार्डी, देवयानी मुर्मू, गीता मुर्मू, बुद्धेश्वर मार्डी और रामदेव हेंब्रम, सुभाष सिंह एवं गणेश सोलंकी शामिल हैं. कुछ राजनैतिक विश्लेषण कहना है कि भाजपा को आदिवासी समाज पूर्ण रूप से अपना वोट देते हुए आए हैं जिसमें मुख्य रूप से उरांव, मुंडा, भूमिज, हो एवं महाली इन जातियों का 80% वोट भाजपा को जाता है. जबकि संथाल जनजाति का मत भाजपा के प्रति घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में 2% से कम आंका जाता है. वहीं बताया जाता है कि घाटशिला विधानसभा में महाली, भूमिज, मुंडा और हो जनजाति के लोग भाजपा पर अपना भरोसा जताते हैं।
भाजपा घाटशिला विधानसभा क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ता का 2019 से ही जाति समीकरण के अनुसार मुंडा, हो, भूमिज या फिर माहिली प्रत्याशी की मांग होता रहा. जिसके चलते इस बार विधानसभा में टिकट इन्हीं जाति समीकरण के आधार पर दिया जाना लगभग तय माना जा रहा है।
2019 में निवर्तमान विधायक लक्ष्मण टुडू का टिकट लखन चंद्र मार्डी को टिकट दे दिया गया था. भाजपा का वोट बढ़ा फिर भी लखन मांडी हार गए. 2024 की चुनाव में सही जाति का प्रत्याशी का मांग चल रहा है।
जिस आधार पर उम्मीदवार की सूची में कई नामों की चर्चा जोर शोर से चल रही है। राजनीतिज्ञ विश्लेषक का यह भी अनुमान है की भाजपा को अगर घाटशिला विधानसभा का सीट जितना है तो जाति समीकरण के आधार से टिकट दिया जाना चाहिए लेकिन सारे लोग सक्रिय रूप से संगठन के लिए कार्य करते देखें जा रहें है।
2014 की विधानसभा चुनाव में 2009 की चुनाव से भाजपा का 9.09% वोट बढ़ा था. जिसके चलते लक्ष्मण टुडू चुनाव जीता गए थे हालांकि 2019 की चुनाव में भाजपा मात्र 0.93% मत की बढ़ोतरी हो पाई थी। विशेष सूत्रों से पता चला है की एक-एक प्रत्याशी की सार्वजनिक एवं व्यक्तिगत क्रियाकलाप पर संगठन के वरिष्ठ नेता नजर रख रहे हैं अब देखना यह मजेदार होगा की अंत में पार्टी आखिर किस पर भरोसा जताती है।