जमशेदपुर। झारखंड विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष एवं 15वीं लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर श्री इंदर सिंह नामधारी की आत्मकथा एक सिख नेता की दास्तान का विमोचन करते हुए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि यह आत्मकथा उन लोगों के लिए प्रेरक है जो राजनीति के क्षेत्र में आगे बढ़ने को ईमानदारीपूर्ण राह बताती है। उनके अनुसार इंदर सिंह नामधारी का 7 बार का लंबा विधायी अनुभव है उनकी पुस्तक मोती के समान है और उनके जीवन से नई दृष्टि और संघर्ष की ताकत मिलती है। सृजनात्मक कदम उठाने का साहस इस पुस्तक से मिलता है और शासन-प्रशासन लोकतंत्र की खूबसूरती इसमें दिखती है। प्रारब्ध और मेहनत के बीच के संघर्ष का कई उदाहरण है और इसमें साहित्य का प्रेम अनुराग भी है। उनके अनुसार नामधारी ने किताब को बेबाक ईमानदारी से लिखा है और अपनी कमजोरियों पर भी प्रकाश डाला है।
पूर्व विधायक एवं भाजपा नेता कुणाल सारंगी ने बतौर समीक्षक कहा कि सिख होने के बावजूद इमानदारी पूर्वक शानदार प्रतिनिधित्व किया है और उनकी जीवनी से ऊर्जा मिलती है और गहरा प्रभाव डालती है। पाकिस्तान से आए और यहां उन्होंने राजनीति के नए मापदंड स्थापित किए जिन्होंने जाति धर्म जैसी संकीर्णता को ढहा दिया। उनके तीन मंत्र प्रयास, प्रारब्ध और प्रार्थना वास्तव में धर्म और राजनीति को सुचिता की राह पर ले चलते हैं। पूर्व मंत्री विधायक एवं भारतीय जनतंत्र मोर्चा के संरक्षक सरयू राय ने कहा कि उनके जीवन की सादगी, ईमानदारी, बेबाकपन, विधायी अनुभव, शासन प्रशासन के अनुभव झारखंड में उन्हें अलग मुकाम देती है और जो नई पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के पूर्व महासचिव पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने झारखंड राज्य के अलग निर्माण में इंदर सिंह नामधारी की भूमिका को स्मरण किया और इसका श्रेय भी उन्हें दिया।
विमोचन के मौके पर वाणी प्रकाशक के प्रबंध निदेशक एवं चेयरमैन अरुण माहेश्वरी, प्रभात खबर के स्थानीय संपादक संजय मिश्रा, झारखंड गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष शैलेंद्र सिंह ने विचार रखे और अध्यक्षता गुरदीप सिंह पप्पू, संचालन कुलविंदर सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष विजय आनंद मुनका ने किया।
इस मौके पर सामाजिक के विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वाले रविंद्र कुमार मिश्रा, जिला परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष राजकुमार सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता नीरज सिंह, आरजे स्मिता कुमारी, संदीप कुमार मुरारका अभिषेक अग्रवाल गोल्डी स्पेशल एथलीट के राष्ट्रीय कोच राजकुमार सिंह, जेएफसी यूथ टीम के कोच जगन्नाथ बेहरा, होटल क्रूज के एमडी हरजीत सिंह बिट्टू, झारखंड बार काउंसिल के उपाध्यक्ष राजेश कुमार शुक्ला, खादी बोर्ड के मनोज सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता शिव शंकर सिंह, सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के कार्यकारी प्रधान कुलदीप सिंह, तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब के महासचिव इंदरजीत सिंह, सेंट्रल सिख स्त्री सत्संग सभा की चेयरपर्सन बीबी कमलजीत कौर प्रधान रविंदर कौर सुखदीप कौर कमलजीत कौर गिल, अमरजीत सिंह, खालसा क्लब के ट्रस्टी संता सिंह टेंपलेट यूनियन के डिप्टी प्रेसिडेंट बलविंदर सिंह सोहल को उपसभापति द्वारा सम्मानित किया गया।
इस मौके पर पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ दिनेश सारंगी सामाजिक कार्यकर्ता डॉ मिनी सारंगी, तुलसी भवन के सचिव प्रसनजीत तिवारी पूर्व छात्र नेता रविंद्र नाचोगे जमशेदपुर बार एसोसिएशन संचालन समिति के सदस्य अधिवक्ता त्रिलोक नाथ ओझा अधिवक्ता भावेश कुमार, चंचल सिंह सुरजीत सिंह खुशीपुर बलविंदर सिंह सुखविंदर सिंह अमरजीत सिंह, केपी सिंह बंसल, भाजमो अध्यक्ष सुबोध श्रीवास्तव, संजीव आचार्य, चंद्रशेखर राव, स्वर्णरेखा बर्निंग घाट प्रबंधन कमेटी के गणेश राव सहित समाज के विभिन्न संगठनों के गणमान्य प्रतिनिधि उपस्थित थे।
इसलिए जमशेदपुर को चुना …..
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी ने लोकार्पण समारोह में इस तथ्य का खुलासा किया कि अलग झारखंड राज्य का प्रस्ताव 1988 की भाजपा की जमशेदपुर में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पारित किया गया था। इस भूमि से ही झारखंड अलग राज्य बनाने को प्रेरणा ऊर्जा मिली और राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी स्वीकार किया था। भले ही भाजपा ने वनांचल नाम दिया था परंतु भावना के मद्देनजर झारखंड को स्वीकार कर लिया। उन्होंने अपने कॉलेज जीवन से लेकर राजनीति के विभिन्न घटना चक्र का उल्लेख करते हुए कहा कि जब समस्या हो और राह नजर नहीं आए तो दिमाग की बजाए दिल की सुननी चाहिए। दिल भावनात्मक रूप से फैसले लेता है जो सही साबित होते हैं।