विगत डेढ़ महीने से बिल्डिंग की पार्किंग में अपनी पत्नी व मासूम बच्चे के साथ एक एक दिन घूट घूट कर काट रहा है. बराबर अनहोनी का सता रहा है डर
जमशेदपुर : गोलमुरी थाना क्षेत्र अंतर्गत मकान संख्या 300, लाइन नंबर 1, बी ब्लॉक पानी टंकी रोड गोलमुरी निवासी 25 वर्षीय शोएब खान अपनी पत्नी और एक साल के मासूम बच्चे के साथ अपने हक और अधिकार के लिए दर दर भटक रहा है. लेकिन उसकी मुसीबत कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है. शोएब खान का मुसीबत और भी पेचीदा होता जा रहा है. शोएब ने इसकी शिकायत और जानकारी समाज के लोगों के लेकर एसएसपी ऑफिस तक कर चुका हैं।
लेकिन इस समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है. शोएब खान लगातार डेढ़ महीने से इस मामले को लेकर काफी परेशान है. और शोएब ने डिप्रेशन में आकर एक बार अपनी जीवन लीला समाप्त करने की भी कोशिश की लेकिन प्रशासन व कुछ बुद्धिजीवी लोगों के समझाने के बाद शोएब खान ने अपने घर वालों से डटकर सामना करने का मन बना लिया है।
सामाजिक लोगों व प्रशासन का प्रयास भी रहा विफल……
सामाजिक लोग व प्रशासन के लोग भी समझाकर थक गए हैं शोएब खान के घरवाले मानने को तैयार नहीं हैं. वह अपने जिद पर अड़े हुए हैं. शोएब खान ने बताया की मैंने इसकी जानकारी समाज के लोगों को और अपने नजदीकी थाना में दी. उसके बाद समाज के लोग और प्रशासन ने अपने अपने स्तर से शोएब के घरवालों को समझाने की कोशिश की लेकिन उसके घर वाले किसी की एक सुनने को तैयार नहीं है. वे अपने आगे किसी की एक नही सुनते।
शोएब को बच्चन में गोद लिया था और अब कह रहें है अनाथ….
अगल बगल और शोएब को जानने वालों ने बताया की शोएब खान काफी छोटा था. उसके माता पिता का पता नहीं लेकिन मासूम शोएब को आज से ठीक 24 साल पहले मोहम्मद शफीक खान उनकी पत्नी पारसा बेगम ने शोएब को गोद लिया. शोएब ने बताया की मुझे पता ही नही चला कि में कब बड़ा हुआ और कब में होश संभाला मुझे मेरी अब्बू और अम्मी का भी प्यार भरपूर मिला उनके प्यार में किसी की कोई कमी नहीं थी. लेकिन मेरे अब्बू का 2021 में इंतकाल हो गया और शोएब पर आफत टूट पड़ा. शोएब की शादी 2022 में हुई और उसका एक साल का बेटा है. शोएब उसकी पत्नी रानी परवीन और उसका एक साल का बेटा उसी बिल्डिंग में खुले में पार्किंग के रहने को मजबूर है. और रात दिन शोएब को अनहोनी डर सता रहा है. शोएब खान का कहना है कि में भले ही गोद लिया बच्चा हूं न जाने मेरे मां बाप कौन थे. लेकिन मेरा माता पिता तो ये ही थे और ये ही है. मैं आज भी इस इंतजार में हूं की कब मेरी अम्मी का पत्थर दिल पिघल जाए और मेरी अम्मी मेरे को मेरा हक और अधिकार दे दे।
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