जमशेदपुर : बीते दिन देर रात करीब 01:30 बजे टाटा स्टील वर्क्स के भीतर कोल वैगन सेक्शन में 34 वर्षीय प्वांइट्समैन सुनील कुमार सिंह की कथित तौर पर ट्रेन की चपेट में आकर दुर्घटनावश मौत हो जाती है।
ध्यातव्य है कि सुनील कुमार सिंह टी एण्ड एम सर्विसेज कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई द्वारा टाटा स्टील के वेंडर, मेसर्स राइट्स लिमिटेड के लिए नियुक्त किए गए थे और इनका वर्तमान कार्यस्थल टाटा स्टील, जमशेदपुर था।
परसों इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की प्रथम सूचना ठीक 01:35 AM को टाटा-स्टील के इंटरनल व्हाट्सअप ग्रुप में आती है। घटना के बाद इन्हें टाटा मेन अस्पताल लाया जाता है जहां इन्हें मृत लाया गया, घोषित किया जाता है। घटना की सूचना इनके नजदीकी परिजन को सुबह 5 बजे होती है।
घटना के बाद सहकर्मियों से संपर्क साधने पर घटना किस तरह हुई, इसका कोई खुलासा नहीं हो पाया है। हांलाकि तमाम सहकर्मियों का एकमत है कि जिस तरह के हालात में मृत शरीर पाया गया है, वो काम से संबंधित जोखिम को ध्यान में रखते हुये सामान्य दुर्घटना की तरफ इशारा नहीं करता है।
उपरोक्त परिस्थितियों एवं तथ्यों को ध्यान में रखते हुये मैंने अविलंब टाटा स्टील के उपलब्ध संबंधित पदाधिकारियों से बात की थी पर दुर्भाग्य से कार्यस्थल पर हुई एक मौत जैसे गंभीर मामलें पर भी उपलब्ध अधिकारियों का रवैया संवेदनहीन एवं ग़ैर जिम्मेदाराना था। अतः मामलें की गंभीरता को ध्यान में रखतें हुये मैंने तत्काल इस मामलें को सबसे पहले तो उपायुक्त महोदय के संज्ञान में लाया तथा बाद में टाटा स्टील के वरीय पदाधिकारियों से बातचीत कर उन्हें परिवार के जायज मांगों से अवगत कराया।
विदित हो कि मृतक पर अपने 73 वर्षीय वृद्ध पिता, बीवी (घरेलू महिला), एक तीन महीने की बेटी एवं एक छोटे भाई की जिम्मेदारी थी, इसलिए टाटा स्टील प्रबंधन की तरफ से किसी सक्षम पदाधिकारी द्वारा न्यायोचित मुआवज़े का आश्वासन दिया जाए।
हांलाकि इस खबर के लिखने तक टाटा स्टील प्रबंधन से वार्ता जारी है और यहां तक कि परिवार की तरफ से वार्ता का सूत्र संभालें कार्यकारी जिलाध्यक्ष धर्मेन्द्र सोनकर को प्रबंधन की तरफ से मौखिक रूप से आश्वस्त किया गया है कि कंपनी मृतक परिवार को अपनी तरफ से वाजिब फौरी राहत के अलावा स्थायी मदद भी करेगी।
मैं उम्मीद करता हूँ कि टाटा स्टील प्रबंधन इस मामलें को मानवीय दृष्टिकोण से देखें एवं ऐसा रास्ता निकाले जिससे कि पीड़ित परिवार को फौरी राहत के साथ साथ स्थायी समाधान मिलें। इस दिशा में टाटा स्टील प्रबंधन के किसी जिम्मेदार पदाधिकारी द्वारा जब तक लिखित में ठोस आश्वासन नहीं मिलता तब तक परिवार मृत शरीर को क्लेम नहीं करेगी एवं दाह संस्कार नहीं होगा।
