जमशेदपुर : आदिवासी बचाओ संघर्ष मोर्चा के बैनर तले आदिवासी जन आक्रोष महारैली का आयोजन साकची स्थित आमबगान से उपायुक्त कार्यलाय के समक्ष जनजाति समुदायों ने पारम्परिक औजार पारम्परिक भेष भूषा, पारम्परिक वाद्य यन्त्रो के साथ प्रदर्शन किया यह महारैली कुर्मी /कुरमी महतो समुदाय को जनजाति सूची में शामिल करने कि माँग के विरोध में किया जा रहा है।

इसके खिलाफ आदिवासी उराव,हो भूमिज, संथाल, मुंडा, बिरहोर, सबर, बेदिया, गोड़, खाडिया समेत सभी 33 आदिवासी समाज के सामाजिक संगठन पारंपरिक स्वसाशन व्यवस्था मानकी मुंडा संघ, मांझी परगना महाल ने एकजुट होकर भारत सरकार,राष्ट्रीपति,राज्यपाल,प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री को उपायुक्त महोदय के माध्यम से ज्ञापन सौपा.
इस महारैली में भाग लेने वाले आंदोलनकारी निम्नलिखित तीन मार्गों से चलकर साकची स्थित आमबगान मैदान में एकत्रित हुए और उपायुक्त कार्यालय में प्रदर्शन किए.
1.कारनडीह-जुगसलाई-बिस्टुपुर -साकची – आमबगान (पैदल रैली करते हुए आगबगान जाएंगे)
- बिरसानगर- बारीडीह- एग्रिको -साकची -आमबगान (पैदल रैली करते हुए आमबगान जाएंगे)
- बाबा तिलका माझी मैदान बालीगुमा-डिमना चौक -मानगो -आमबगान
(पैदल रैली करते हुए आम बगान जाएंगे)
मुख्य मार्ग निम्नलिखित रहेगा:-
साकची- आमबगान मैदान-बिरसा चौक (बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण) – आई. हॉस्पिटल-स्ट्रेट माइल रोड- रेड क्रॉस – उपायुक्त कार्यालय,जमशेदपुर तक।
आदिवासी बचाओ संघर्ष मोर्चा के बैनर तले आदिवासी जन आक्रोष महारैली का का आयोजन आदिवासी पारंपरिक स्वसाशन व्यवस्था के नेतृत्व मे उपायुक्त कार्यालय, जमशेदपुर में लगभाग 40 हजार लोगों का जन सैलाव आयोजित आक्रोश महारैली के माध्यम से समस्त जनजातीय समुदाय कि ओर से यह कहना है कि विगत दिनों कुर्मी /कुरमी समुदाय द्वारा रेल टेका आंदोलन किया गया था। जिसमे उनके द्वारा अनुसूचित जनजाति श्रेणी में उन्हें शामिल करने कि माँग थी।

हम जनजाति समुदाय के द्वारा यह कहना है कहीं ना कहीं उनका माँग अवैध है क्यूंकि जनजाति समाज कि अपनी पारम्परिक स्वशाशन व्यवस्था है तथा हम प्रकृति के उपासक है। हमारा जीवनशैली उनके अपेक्षा काफी निचले स्तर के है हमारे इन सभी स्थितियो को देखते हुए भारत सरकार द्वारा हमें आरक्षण प्रदान किया गया है। वर्तमान कि वास्तविक परस्थिति में जनजातीय लोगो के अपेक्षा कुर्मी महतो समुदाय का रहन -सहन काफी भिन्न है, कहीं ना कहीं उनका यह माँग हमारे अस्तित्व, पहचान, संवैधानिक अधिकारों के लिए ख़तरा है, इसलिए हम सभी जनजातीय समुदाय उनके इस माँग का कड़ा विरोध करते है व आपसे ख़ारिज करने कि माँग करते है।

सुरा बिरुली कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा 23 नवंबर 2004 को पारित प्रस्ताव में कुरमी/महतो को आदिवासी सूची में शामिल करने हेतू अनुशंसा केन्द्र सरकार को प्रेषित किया गया। जिसे केन्द्र सरकार ने भी सिरे से खारिज कर दिया।

आदिवासी बचाओ संघर्ष मोर्चा सदस्य कुरमी/महतो द्वारा चलाए जा रहे आक्रोशित रैली, धरना प्रदर्शन के आधार पर उन्हें अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने संबंधी विधेयक को झारखंड विधानसभा, लोकसभा में पेश न किया जाए। ताकि हम प्रकृतिवादी आदिवासियों की अस्मिता और अस्तित्व को यथावत संरक्षित किया जा सके।

महारैली को सफल बनाने में मुख्य रूप से दुर्गा चरण मुर्मू, सुरा बिरुली, दिनकर कच्छप,राजेश दीपक मांझी, राकेश उरांव, नन्दलाल पातर, डेमका सोय, रवि सवैया,मोहिन सिंह सरदार,उपेंद्र बानरा, ठाकुर कलुण्डिया, डीबार पुरती, जेवियर कुजूर, लालमोहन जामुदा, लालमोहन मुर्मू, सुनिल मुर्मू,पिथो सांडिल, परसो राम कर्मा, सुखलाल बिरुली, सुकराम सामद, प्रेम सामड आदि शामिल थे।




