जमशेदपुर : बिस्टुपुर में स्थित टाटा स्टील द्वारा संचालित जूलॉजिकल पार्क में नागपुर से लाए दो नए मेहमान बाघ का नामकरण शहर वासियों की पसंद पर हुआ है. टाटा जूलॉजिकल पार्क के निदेशक ने बताया कि नागपुर से लाए गए बाघ-बाघिन का नाम शहरवासियों के सहयोग से रखा गया है. बाघ-बघिन को जल्द ही नए बाड़े में रखा जाएगा।
आमतौर पर देखा गया है की इंसान के जन्म के बाद उसकी पहचान के लिए परिवार वालों के पसंद पर बच्चे का नामकरण किया जाता है. लेकिन जमशेदपुर में स्थित गैर सरकारी जूलॉजिकल पार्क में रखे गए सभी जानवरों का भी अलग-अलग नाम रखा गया है. पिछले दिनों नागपुर के बाला साहेब ठाकरे जूलॉजिकल पार्क से दो बाघ टाटा जूलॉजिकल पार्क में लाए गए थे. जिनमें एक नर और दूसरा मादा बाघ था।
टाटा जुलॉजिकल पार्क प्रबंधन ने जू में आए दोनों नए मेहमान के लिए नए बाड़े बनवाए हैं. जहां जल्द ही दोनों को शिफ्ट किया जाएगा. टाटा जूलॉजिकल पार्क के निदेशक नईम अख्तर ने बताया कि शहरवासियों से राय मांगी गई थी. कुल 318 लोगों ने अपना पसंदीदा नाम का प्रस्ताव रखा था. नामकरण के लिए एक जूरी कमेटी बनाई गई थी. जिसमें दो नाम का चयन कर उस पर मुहर लगी है. जिसमें बाघ का नाम ‘रुद्र’ और बाघिन का नाम ‘मेघना’ रखा गया. दोनों बाघ-बाघिन को एक ही जगह दो अलग अलग बाड़े में रखा गया है. जहां वो समय समय एक दूसरे से रूबरू हो रहे है. बता दें कि टाटा जूलॉजिकल पार्क में 440 से ज्यादा अलग-अलग प्रजाति के जानवर हैं।
‘रूद्र’ और ‘मेघना’ के बारे में निदेशक नईम अख्तर ने बताया की इन्हें रेस्क्यू कर नागपुर जूलॉजिकल पार्क में रखा गया था. सेन्ट्रल जू अथॉरिटी से इजाजत मिलने के बाद जमशेदपुर जू पार्क लाया गया है. निदेशक ने बताया कि वर्तमान में टाटा जूलॉजिकल पार्क में दो मादा बाघिन हैं. रूद्र के आ जाने से ब्रिडिंग के जरिए नए मेहमान आएंगे. उन्होंने कहा कि भगवान शिव के नामों में एक नाम रुद्र है और मेघना एक नदी का नाम है. दोनों नाम प्रकृति से जुड़े हैं. इन नाम के उच्चारण से एक अच्छा अनुभव के साथ अहसास भी होगा.