जमशेदपुर : झारखंड में अंधेर नगरी-चौपट राजा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। एक ओर मुख्यमंत्री सरकारी खर्च पर सरकार आपके द्वार चलाने का ढोंग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने के बाद भी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। राजस्व कर्मचारियों की विभिन्न मांगो को लेकर चल रही हड़ताल को लेकर हेमंत सरकार के उदासीन रवैये के कारण राज्य के छात्र व आम लोग परेशान हो रहे हैं।
कई मेधावी बच्चे जिनका राज्य और राज्य के बाहर मेडिकल कॉलेज, पॉलिटेक्निक, सरकारी समेत अन्य संस्थानों की मेरिट लिस्ट में नाम आ गया, लेकिन आवासीय प्रमाण पत्र ना बन पाने के कारण उनका नामांकन नहीं हो पा रहा है। उनका भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। इसके साथ ही राज्य के कई गरीब, जो इलाज के लिए विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं, उन्हें सरकारी मदद के लिए आय प्रमाण पत्र बनवाना होता है। हड़ताल के कारण वे भी नहीं बन पा रहे हैं। इससे गरीब बेहतर इलाज से भी वंचित हो रहे हैं। इस असंवेदनशील सरकार के कारण गरीबों को पेंशन से भी वंचित होना पड़ रहा है।
साथ ही जमीन के दाखिल खारिज, जमीन त्रुटिकरण, नक्शा पास, जैसे महत्वपूर्ण कार्य भी नही हो पा रहे हैं। अहंकार में डुबी हेमंत सरकार केवल अपनी पीठ थपथपाने में लगी है। उसे गरीबों व आम लोगों की बिलकुल भी चिंता नहीं है। मैं मुख्यमंत्री जी से मांग करता हूं की राजस्व कर्मचारियों के साथ बैठकर उनकी मांगों पर विचार करें और जल्द से जल्द उनकी समस्याओं का निराकरण कर हड़ताल समाप्त करवायें, ताकि आम लोगों के जरूरी काम हो सकें।