गिरिडीह। बालासोर ट्रेन हादसे को भले ही 10 दिन गुजर गया हो, लेकिन अभी भी हादसे से जुड़ी कई कहानियां आ रही है। हादसे की विभत्सता इतनी थी कि कुछ लोगों आज तक अपनों की तलाश है, जबकि कई लाशें अभी भी अपनों को तलाश रही है। इन दर्द भरी दास्तां के बीच कुछ सुखद खबरें भी परिवार को मिल रही है। एक ऐसा ही परिवार, जिसने हादसे में अपने बेटे को मरा मान लिया था, वो बेटा जिंदा लौट आया है।
मामला गिरिडीह के पथलडीहा का है। युवक का नाम पवन भूईया है, जो हादसे वाली कोरोमंडल एक्सप्रेस में सफर कर रहा था। घर लौटे पवन ने बताया कि वो पश्चिम बंगाल के शालीमार रेलवे स्टेशन से कोरामंडल एक्सप्रेस पर चढ़कर चेन्नई जा रहा था। इस दौरान ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गयी। हादसे के बाद ट्रेन के अंदर रखे बेग व झोला से भरे सामान इधर उधर उधर बिखर गये।
वहीं पवन हादसे में घायल हो गया और बेहोश हो गया। उसे कटक के एक अस्पताल में राहत बचाव कर्मियों द्वारा भर्ती कराया गया। जहां करीब 48 घंटे के बाद होश आया तो वहां मुझसे नाम पता व घर वालों का संपर्क पूछा गया। गिरिडीह के पवन भुइयां अपने घर गावां के पथलडीहा पहुंचा। उससे मिलने के लिए दिनभर लोगों का हुजूम लगा रहा।
पवन के परिजनों ने बताया कि रेल हादसा के बाद परिवार के लोग उसकी तलाश में गये थे। घटना स्थल पर इन्होंने अपने बेटे की खूब तलाश की। कई शव के चेहरे को देखा। एक शव की पहचान बेटे के रूप में की, लेकिन शव बुरी तरह से क्षत विक्षत था। शव देखकर परिजन वापस लौट गये। बेटे का शव अपनी आंखों से देखा था परिजन परेशान थे, घर में मातम था।
इसी बीच जिला विधिक सेवा प्राधिकार झालसा के सचिव सौरभ कुमार गौतम को रेलवे की तरफ से पवन के जिंदा होने की जानकारी दी गयी। जिसके बाद सौरभ ने परिजनों से संपर्क किया। घर लौटने के दौरान आसनसोल पहुंचने पर पिता को झलासा के सचिव द्वारा बेटे का जीवित होने की सूचना मिली। जैसे ही मुझे पवन का जीवित होने की सूचना मिली। उसके बाद से पूरे घर और गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। इसके बाद पवन के पिता ने अस्पताल पहुंचकर उससे मुलाकात की व घर वालों को इसकी जानकारी दी।