लोकतंत्र सवेरा : झारखंड में विधानसभा चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो)-कांग्रेस-राष्ट्रीय जनता दल (राजद) गठबंधन को जीत का परचम लहराने का मौका दिया है। INDIA (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) गठबंधन के तहत झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी नई साथी कल्पना सोरेन की जोड़ी ने चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए बहुमत हासिल किया। दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA), जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और आजसू पार्टी प्रमुख दल थे, को एक बार फिर जनता ने विपक्ष में बैठने के लिए मजबूर कर दिया।
हेमंत-कल्पना की नई जोड़ी का जादू…..
हेमंत सोरेन ने अपनी रणनीति, जनसंपर्क और लोकप्रिय योजनाओं के दम पर गठबंधन को फिर से सत्ता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी पत्नी और पहली बार चुनावी राजनीति में उतरीं कल्पना सोरेन ने भी ग्रामीण इलाकों में महिलाओं और युवाओं के बीच खासा प्रभाव डाला। उनके संयोजन ने गठबंधन को ऐतिहासिक जीत दिलाई। चुनाव प्रचार के दौरान हेमंत सोरेन ने विकास कार्यों, किसान योजनाओं, जनजातीय अधिकारों और सामाजिक न्याय को प्राथमिक मुद्दा बनाया, जिसने जनता का दिल जीता।
भाजपा के लिए बड़ा झटका….
भाजपा, जो पिछले 5 वर्षों से विपक्ष में थी, उम्मीद कर रही थी कि वह सत्ता में वापसी कर सकती है। हालांकि, आंतरिक गुटबाजी और स्थानीय नेतृत्व में कमी की वजह से पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। भाजपा की रणनीति, आदिवासी वोटरों को अपने पक्ष में करने की कोशिश में विफल रही। इसके अलावा, झारखंड में बेरोजगारी, भूमि अधिग्रहण और जनजातीय अधिकारों से जुड़ी समस्याओं पर भाजपा को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा।
महागठबंधन की रणनीति ने किया काम….
गठबंधन की जीत में हर पार्टी की भूमिका अहम रही। कांग्रेस ने शहरी और मध्यवर्गीय क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत की, जबकि झामुमो ने ग्रामीण इलाकों और जनजातीय समुदाय में अपने परंपरागत वोट बैंक को बरकरार रखा। राजद ने सीमाई इलाकों में अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराई। गठबंधन का “झारखंडी अस्मिता और विकास” का नारा वोटरों को लुभाने में कामयाब रहा।
विपक्ष का हाल बेहाल……
भाजपा के अलावा, आजसू पार्टी और अन्य छोटे दल भी इस चुनाव में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए। चुनाव बाद समीकरणों के बावजूद, विपक्ष कमजोर और बिखरा हुआ नजर आ रहा है। एनडीए के लिए यह चुनाव स्पष्ट रूप से दिखाता है कि जनता को विकास और सामाजिक मुद्दों पर अधिक काम चाहिए।
झारखंड की जनता का संदेश…..
झारखंड की जनता ने इस बार स्पष्ट संदेश दिया है कि वह स्थिर और समावेशी सरकार चाहती है। हेमंत सोरेन के पिछले कार्यकाल की योजनाओं, जैसे- कृषि ऋण माफी, स्वास्थ्य योजनाएं और “आपकी योजना, आपकी सरकार” जैसे कार्यक्रमों ने जनता के बीच गहरी छाप छोड़ी।
आगे की चुनौतियां……
हालांकि गठबंधन ने जीत हासिल की है, लेकिन झारखंड में बेरोजगारी, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, शिक्षा व्यवस्था में सुधार और नक्सलवाद जैसी गंभीर चुनौतियां अभी भी बरकरार हैं। अब देखना यह होगा कि हेमंत-कल्पना की जोड़ी इन समस्याओं से कैसे निपटती है और जनता की उम्मीदों पर कितनी खरी उतरती है।
निष्कर्ष……
झारखंड में INDIA गठबंधन की यह जीत न केवल राज्य की राजनीति में बदलाव का संकेत है, बल्कि यह भी दिखाता है कि स्थानीय मुद्दे और जनभावनाएं राष्ट्रीय राजनीति से अधिक महत्व रखती हैं। जनता ने भाजपा को स्पष्ट संदेश दिया है कि केवल वादों से नहीं, बल्कि ठोस काम से ही झारखंड की राजनीति में जगह बनाई जा सकती है।