बुंडू: दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल स्तरीय बालिका आवासीय विद्यालय, बुंडू की 60 छात्राओं ने गुरुवार को रांची-टाटा रोड जाम कर दिया। छात्राएं गुरुवार की दोपहर साढ़े 12 से ढाई बजे तक सड़क पर बैठी रहीं । छात्राओं का आरोप है कि जला और कच्चा भोजन दिया जा रहा है। पीने के लिए टैंकर से गंदा पानी मिल रहा है। शिक्षक नहीं होने के कारण अच्छी शिक्षा नहीं मिल रही है। सूचना मिलने पर बुंडू एसडीएम अजय कुमार साव ने पानी और सुरक्षा की व्यवस्था कराई। समस्याओं का जल्द निदान करने के आश्वासन दिया, जिसके बाद छात्राओं ने जाम हटाया।
इंदिरा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय हजारीबाग की तरह राज्य सरकार ने बुंडू में इस विद्यालय की स्थापना की। यहां विरोध कर रही छात्राओं ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा के तहत यहां नामांकन लिया। 4 साल पहले नामांकन हुआ उसके बाद से नामांकन बंद हैं। विद्यालय का अपना भवन नहीं है। स्कूल में ज्यादा शिक्षक नहीं है। खाने और पीने के पानी की भी समस्या है। इन छात्राओं की क्लास बालिका उच्च विद्यालय, बुंडू के एक अलग कमरे में चलती है। शिक्षक भी डेपुटेशन पर हैं। छात्राओं ने पहले भी असुविधा को लेकर लगातार शिकायत की। उन्होंने स्कूल के प्रधानाध्यापक को लिखकर दिया कि अगर व्यवस्था नहीं बदली तो वह स्कूल छोड़ देंगी। इसके बाद भी कार्रवाई नहीं हुई।
अंत में छात्राओं ने सड़क जाम करने का फैसला लिया और बीच सड़क पर आकर बैठ गयीं। बुंडू सीओ राजेश डुंगडुंग, बीडीओ संध्या मुंडू आदि ने छात्राओं को समझाने का प्रयास किया लेकिन छात्राएं नहीं मानी। एसडीएम अजय कुमार साव के समझाने और आश्वादन देने के बाद छात्राओं ने जाम खोला और सड़क से हट गयीं। छात्राओं का आरोप है कि स्कूल में गार्ड नहीं है। रात में असामाजिक तत्व परिसर में आ जाते हैं। सफाईकर्मी नहीं है। टॉयलेट खुद साफ करना पड़ता है। कई विषयों के शिक्षक नहीं हैं। जला खाना और गंदा पानी मिलता है। छात्राओं ने यह भी शिकायत की है कि अगर वह इस संबंध में शिकायत करती है तो प्रैक्टिकल परीक्षा में कम नंबर देने की धमकी मिलती है।
सूचना पर जाम स्थल पर पहुंचे बुंडू सीओ राजेश डुंगडुंग, बीडीओ संध्या मुंडू आदि ने छात्राओं को समझाने का प्रयास किया, परंतु वे मानने को लेख तैयार नहीं थीं। बाद में एसडीएम अजय कुमार साव के पहुंचने और अगला समझाया तब बच्चे हटे। वहीं अधिकांश छात्राएं रोने लगीं। इस दौरान V छात्रा रेशमा बेहोश हो गिर गई। छात्राओं का आरोप है कि स्कूल में गार्ड नहीं है। रात में असामाजिक तत्व परिसर में आ जाते हैं। सफाईकर्मी नहीं है। टॉयलेट खुद साफ करना पड़ता है। कई विषयों के शिक्षक नहीं हैं। जला खाना और गंदा पानी मिलता है।
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एक ओर जब आदिवासी दिवस के नाम पर बाप-बेटे सरकारी करोड़ों रूपये पानी की तरह बहाकर अपना चेहरा चमका रहे थे। ठीक उसी समय सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली ये बच्चियॉं स्कूल की बदहाली के चलते नरक समान जीवन से तंग आकर सड़क पर बैठ कर विरोध जता रही थीं। ये नजारा राँची-टाटा मार्ग पर बुंडू का है।… pic.twitter.com/j7W38gR11C
— Babulal Marandi (@yourBabulal) August 11, 2023