रांची : कड़े संघर्ष और युवा विरोधी हेमंत सरकार को हराकर नौकरी पाने वाले हाई स्कूल शिक्षकों को मैं बधाई देता हूं और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। मैं माननीय सर्वोच्च न्यायालय के प्रति विशेष आभार व्यक्त करता हूं कि अगर न्यायालय का हस्तक्षेप नहीं हुआ होता तो इन शिक्षकों की नियुक्ति संभव नहीं हो पाती। मैं हेमंत सरकार से हाथ जोड़कर आग्रह करता हूं कि युवाओं और नौकरियों के बीच अब कोई बाधा खड़ी न करें। उनका कैरियर तबाह नहीं करें। हेमंत जी की परेशानियों को मैं समझता हूं। जिन नियुक्तियों को ये रघुवर सरकार का पाप कहते थे आज उन्हीं नियुक्तियों का श्रेय लेने के लिए अखबारों में विज्ञापन छपवाना पड़ रहा है। खेल गांव में समारोह करना पड़ रहा है। मैं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बताना चाहता हूं कि नियुक्तियां पाप नहीं बल्कि पुण्य का कार्य होती हैं। आज जब हेमंत सरकार को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आगे विवश होकर हाईस्कूल शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटना पड़ा है, तो जनता को ये जानने का हक है कि इन नियुक्तियों को रोकने के लिए हेमंत सरकार ने क्या-क्या प्रपंच किये हैं?
हाईस्कूल के 17,786 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया हमारी भाजपा सरकार ने 2016 में शुरू की थी। हजारों युवाओं को नियुक्ति पत्र मेरी सरकार दे चुकी थी। प्रक्रिया के अंतिम चरण में यह मामला न्यायालय में चला गया, जिसकी वजह से बाकी कि प्रक्रिया लंबित हो गयी। हेमंत सरकार ने सत्ता संभालने के बाद सबसे पहले नियुक्तियों को ठंढे बस्ते में डालने का काम किया। न्यायालय में मजबूती से पक्ष रखने की बजाय मुख्यमंत्री सहित पूरी सरकार झारखंड के युवाओं को नौकरी नहीं मिले इसके लिए प्रयास करती रही। इतना ही नहीं हेमंत सरकार ने मेरी सरकार में शुरू की गयी नियुक्तियों से संबंधित सभी विज्ञापनों को ही वापस लेने का आदेश दिया। उन्हीं विज्ञापनों में पंचायत सचिव व लिपिक का भी विज्ञापन था।
सिर्फ यह डर कि इन नियुक्तियों का श्रेय हमारी भाजपा सरकार को जायेगा, हेमंत सरकार ने युवाओं के भविष्य को अधर में लटकाकर नियुक्तियों पर ही रोक लगा दी। आज जिन हाईस्कूल शिक्षकों की नियुक्ति का श्रेय हेमंत सरकार लेने का प्रयास कर रही है, दरअसल उसके वास्तविक हकदार हमारे युवा हैं, जिन्होंने मजबूती के साथ अपना पक्ष सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष रखा और फैसला उनके हक में आया। यह नियुक्ति हेमंत सरकार के मुंह पर युवाओं का करारा तमाचा है।
हेमंत सरकार आखिरी समय तक नियुक्ति नहीं करना चाहती थी, इसलिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद टालमटोल करती रही। युवा अभ्यर्थियों ने हेमंत सरकार के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अवमानना याचिका तक दायर की। उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव को सशरीर हाजिर होने का आदेश दिया था। तब जाकर नियुक्ति मिलना संभव हो पाया। अभी तो हेमंत सरकार को पंचायत सचिव और लिपिकों को भी नियुक्ति पत्र देना पड़ेगा। हेमंत सरकार की लटकाओ, अटकाओ और भटकाओ की राजनीति की वजह से हमारे झारखंड के हजारों युवा पिछले तीन-चार साल से अपने हक के लिए भटक रहे हैं। उनके ये जो कीमती साल बर्बाद हुए हैं, क्या हेमंत सोरेन उन्हें वापस कर पायेंगे?