RANCHI : सस्पेंशन के 17 दिन बाद ही 9 दारोगा की बहाली मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस मामल में अब जांच की मांग उठी है। दरअसल पिछले दिनों उत्पाद आयुक्त ने आदेश जारी कर झारखंड में उत्पाद विभाग के निलंबित 9 दरोगा को सस्पेंशन के 17 दिन बाद ही बहाली करने का आदेश जारी कर दिया था। निलंबन से बहाली की वजह जो बतायी गयी, वो काफी दिलचस्प था, आदेश में कहा गया था कि विभाग में अमले की कमी है, इसलिए निलंबन मुक्त किया जाता है।
अब इस मामले में भाजपा ने जांच की मांग की है। अधिवक्ता सह भाजपा विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक सुधीर श्रीवास्तव ने इस मामले की पूरी जानकारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को दी है। उन्होंने इस मामले में जांच की मांग की है। उन्होंने सवाल उठाया है कि निलंबन के 17 दिन बाद ही बहाली कोई साजिश का हिस्सा तो नहीं। शिकायत पत्र की प्रति मुख्य सचिव, और पुलिस महानिदेशक को भी दी गई है।
भाजपा ने बताया कि 26 नवंबर को 9 उत्पाद दरोगा को एमआरपी से अधिक कीमत पर शराब बिक्री के कारण निलंबित किया था और ये सभी दरोगा गुमला, रांची, बोकारो, धनबाद जिले में पदस्थापित थे। अमित प्रकाश उत्पाद आयुक्त ने एक साथ सभी को निलंबन किया था और एक साथ ही निलंबन मुक्त किए।
श्रीवास्तव ने बताया कि इस मामले की पूरी जांच होनी चाहिए कि किस के दबाव में यह निलंबन मुक्त किया गया। निलंबन के मात्र 17 दिन बाद यह निलंबन मुक्त का खेला में कहीं कुछ भारी डील तो नहीं हुआ है? क्या निलंबन करने के पीछे भी कोई साजिश तो नहीं? निलंबन एक सजा है या मजा है इसका सही जवाब तभी मिलेगा जब इसकी जांच होगी।
दरअसल उत्पाद आयुक्त अमित प्रकाश 31 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं इसका भी कुछ संबंध निलंबन मुक्त से है क्या? श्रीवास्तव ने मांग किया है कि सभी निलंबन मुक्त दरोगा और उत्पाद आयुक्त का मोबाइल का जांच हो और पिछले 17 दिन में सभी का कॉल रिकॉर्डर का ब्यौरा लेकर जांच हो।