रांची : बारात निकलने से ठीक पहले दूल्हे की आत्महत्या मामले ने तूल पकड़ लिया है। परिजनों द्वारा पुलिस पर गंभीर प्रताड़ना के आरोप लगाए जाने के बाद अब पुलिस भी एक्शन में हैं। डीजीपी तदाशा मिश्रा ने इस मामले में जांच के आदेश दिये हैं। घटना की जांच रांची आईजी को सौंपी है और आरोपित पुलिसकर्मियों को तत्काल लाइन हाजिर करने का आदेश दिया है। डीजीपी ने घटना की तीन दिनों में विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है, ताकि मामले की सच्चाई उजागर हो सके।

दरअसल राजधानी रांची के सुखदेव नगर थाना क्षेत्र में बारात निकलने से ठीक पहले दूल्हे द्वारा आत्महत्या किए जाने की घटना के बाद पूरे राज्य में सनसनी फैल गयी थी। जैसे-जैसे मामले से जुड़े नए तथ्य सामने आ रहे हैं, पुलिस पर प्रताड़ना और अवैध वसूली के गंभीर आरोपों ने जांच को और भी संवेदनशील बना दिया है। झारखंड पुलिस मुख्यालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तेज कार्रवाई शुरू कर दी है।
डीजीपी तदाशा मिश्रा ने संज्ञान लेते हुए इस संवेदनशील प्रकरण की जांच रांची रेंज के आईजी मनोज कौशिक को सौंपी है। पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, डीजीपी ने रांची आईजी और एसएसपी को तीन दिनों के भीतर विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि मामले के हर पहलू की गहराई से जांच की जाए और किसी भी प्रकार की लापरवाही या पक्षपात बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
साथ ही आरोपित पुलिसकर्मियों को तत्काल लाइन हाजिर करने का आदेश जारी किया गया है, ताकि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आगे बढ़ सके। पुलिस मुख्यालय ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि मृतक के परिजनों के बयान, मेडिकल और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, तथा हालिया पुलिस कार्रवाई का पूरा रिकॉर्ड ध्यानपूर्वक जांचा जाए।
जानिए क्या है पूरा मामला?….
यह दर्दनाक घटना 29 नवंबर को सुखदेव नगर थाना क्षेत्र के किशोरगंज रोड नंबर 5 में सामने आई, जहां रेलवे में कार्यरत युवक नितेश पांडे की शादी उसी दिन थी। परिवार तैयारियों में व्यस्त था, लेकिन अचानक घर के एक कमरे में नितेश का शव मिलने से शादी का माहौल मातम में बदल गया।
परिजनों ने नितेश की आत्महत्या के पीछे पुलिस प्रताड़ना को जिम्मेदार ठहराया है। मृतक के भाई नीरज पांडे के अनुसार, 26 नवंबर को तिलक समारोह के बीच प्रियंका नामक एक युवती ने नितेश पर यौन शोषण का आरोप लगाया और मामला थाने तक पहुंचा। परिजनों का आरोप है कि बिना किसी प्रारंभिक जांच के नितेश को हिरासत में ले लिया गया और बाद में उसे रिहा करने के नाम पर थाने के मुंशी परशुराम द्वारा बार-बार पैसों की मांग की गई।
नीरज पांडे का दावा है कि उनसे सिटी एसपी और कोतवाली डीएसपी के नाम पर भी पैसों की मांग की गई, और कुल मिलाकर लगभग दस लाख रुपये वसूले गए। हालांकि थाने से रिहाई के बाद भी आरोप लगाने वाली युवती और पुलिस की दबाव भरी कार्रवाई ने नितेश को मानसिक रूप से अत्यंत परेशान कर दिया था।
जांच से बढ़ी उम्मीदें…..
घटना के बाद मृतक के घर में भारी आक्रोश देखने को मिला। स्थानीय लोग भी पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करते दिखे। अब जबकि डीजीपी ने खुद मामले की निगरानी की जिम्मेदारी शीर्ष अधिकारियों को दी है, परिवार को न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ी है।



