झारखंड : संताल परगना की सभी 18 सीटों पर 20 नवंबर होने वाला चुनाव काफी दिलचस्प होगा। पाकुड़ को छोड़कर सभी सीटों पर सीधी लड़ाई है। पाकुड़ में त्रिकोणात्मक लड़ाई हो सकती है। संताल परगना में पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार थोड़ा-बहुत उलटफेर की संभावना बनती दिख रही है। संताल में पाकुड़ से आजसू और बाकी सीटों पर भाजपा ने प्रत्याशी उतारा है।वहीं आइएनडीए की कांग्रेस पार्टी ने जरमुंडी, महगामा, पोड़ैयाहाट, पाकुड़ और जामताड़ा सीट से उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। जबकि, राजद के खाते में देवघर और गोड्डा सीट है। बाकी संताल परगना की 11 सीटों से झामुमो ने अपना प्रत्याशी उतारा है।
2019 के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस को यहां चार-चार सीटें मिली थीं। जबकि झामुमो को नौ और जेवीएम को एक सीट पर सफलता मिली थी। देवघर, गोड्डा, सारठ और राजमहल में भगवा फहरा तो जामताड़ा, पाकुड़, जरमुंडी और महागामा से पंजा ने बाजी मारी थी।
पाकुड़ विधानसभा सीट में त्रिकोणीय मुकाबला
पाकुड़ विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी निसात आलम, सपा प्रत्याशी अकील अख्तर और एनडीए प्रत्याशी आजसू के अजहर इस्लाम के बीच त्रिकोणात्मक संघर्ष है। इसमें कांग्रेस की स्थिति अधिक मजबूत है। पाकुड़ में 70 फीसद मुस्लिम वोट है। पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी आलमगीर ने 60 हजार से अधिक मतों से भाजपा प्रत्याशी वेणी प्रसाद गुप्ता को हराया था।
देवघर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के नारायण दास और राजद प्रत्याशी सुरेश पासवान के बीच क्लोज कंटेस्ट है। पिछले दो चुनाव से लगातार भाजपा से नारायण दास ही जीत रहे हैं। इस बार भी नारायण भारी हैं। 2014 में राजद से इस सीट को भाजपा ने छीना था। 2019 के चुनाव में भाजपा करीब पांच हजार वोट से ही जीत हासिल की थी। वहीं आइएनडीए महागठबंधन भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। झामुमो और कांग्रेस का समर्थन मिलने से राजद भी मजबूत स्थिति में है।
2. सारठ
सारठ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी रंधीर सिंह और झामुमो प्रत्याशी उदय शंकर सिंह आमने-सामने हैं। रंधीर सिंह दूसरी बार यहां से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। 2014 में झामुमो से और 2019 में भाजपा से चुनाव लड़े। दोनों ही बार उन्होंने जीत फतह की। सारठ में भाजपा की मजबूत किलाबंदी को भेदना मुश्किल होगा। प्रधानमंत्री मोदी की सभा के बाद वह और मजबूत हुए हैं। हालांकि, राजद और कांग्रेस का समर्थन मिलने से अगर उदय शंकर सिंह पिछड़ा वर्ग में सेंधमारी करने में सफल होते हैं तो चुनाव दिलचस्प हो सकता है।
3. मधुपुर
मधुपुर विधानसभा क्षेत्र से झामुमो के हफीजुल हसन और भाजपा के गंगाधर सिंह आमने-सामने हैं। यहां पर हफीजुल मजबूत स्थिति में हैं। 2021 के विधानसभा उपचुनाव में मात्र पांच हजार वोटों से जीत-हार हुई थी। इसलिए बीजेपी इस सीट को अपने पाले में करने के लिए विधानसभा क्षेत्र की सीमा पर प्रधानमंत्री तो मधुपुर में अमित शाह सभा करवा चुकी है। भाजपा यहां पर सेंधमारी करने की जुगत में हैं।
4. गोड्डा
गोड्डा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी अमित मंडल और राजद प्रत्याशी संजय यादव के बीच क्लोज कंटेस्ट है। यहां पर जीत-हार का फैसला थोड़ा बहुत मतों से हो सकता है। आदिवासी, यादव और अल्पसंख्यक वोटरों में अगर भाजपा सेंधमारी करने में सफल रहती है तो राह आसान हो सकती है। भाजपा अपने बूथ मैनेजमेंट से भी बढ़त लेने की जुगत में है। अन्यथा इस सीट पर कांटे की टक्कर रहेगी।
5. महागामा
महागामा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी दीपिका पाण्डेय सिंह और भाजपा से अशोक कुमार चुनावी मैदान में हैं। पिछले चुनाव में इस सीट पर 12 हजार से अधिक मतों जीत-हार हुई थी। हालांकि, इस बार मुकाबला काफी क्लोज हो गया है। यहां पर भाजपा अपने दिग्गज नेताओं राजनाथ सिंह, शिवराज सिंह चौहान और हिमंत बिस्वा सरमा की सभा कराके आइएनडीए के वोट बैंक में सेंधमारी की जुगत में है।
6. पोड़ैयाहाट
पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप कुमार यादव और भाजपा से देवेंद्र नाथ सिंह मैदान में ताल ठोक रहे हैं। प्रदीप यादव इस सीट से लगातार चार बार विधायक बनने वाले इकलौते नेता हैं। भाजपा ने इस बार अपना चेहरा बदला है। पिछले चुनाव में यहां से भाजपा के टिकट पर गजधर सिंह चुनाव लड़े थे और 13 हजार से अधिक मतों से हार भी गए। भाजपा कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। बावजूद प्रदीप की स्थिति यहां मजबूत है।
7. बरहेट
बरहेट विधानसभा क्षेत्र राज्य की हाट सीटों में से एक है। यहां से झामुमो से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने भाजपा ने नए चेहरे गमालियल हेम्ब्रम को मैदान में उतारा है। 2019 का चुनाव झामुमो के लिए जितना आसान था, इस बार वैसी स्थिति नहीं है। पिछले चुनाव के 25 हजार मतों के मुकाबले इस बार जीत-हार का अंतर घट सकता है।
8. बोरियो
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित बोरियो विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के लोबिन हेम्ब्रम और झामुमो से धनंजय सोरेन चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों ही झामुमो संस्थापक शिबू सोरेन के शिष्य हैं। भाजपा के लोबिन हेम्ब्रम यहां पर मजबूत स्थिति में हैं। पिछला चुनाव वह झामुमो के टिकट पर जीते थे। वहीं झामुमो ने इस बार यहां से नया चेहरा धनंजय को उतारा है। उनकी पकड़ क्षेत्र में उतनी नहीं है।
9. राजमहल
राजमहल विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी से अनंत ओझा और झामुमो के टिकट पर एमटी राजा मैदान में हैं। यहां पर दोनों में कांटे की टक्कर है। एक-दो दिनों से परिस्थितियां लगातार बदल रहीं हैं। भाजपा अगर वोटों के ध्रुवीकरण में सफल हो जाती है अनंत ओझा इस सीट का निकाल सकते हैं। हालांकि, कुछ दिन पहले तक पहले तक एमटी राजा की स्थिति मजबूत मानी जा रही थी। इस सीट में सोमवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की सभा होने वाली है।
10. लिट्टीपाड़ा
एसटी सुरक्षित लिट्टीपाड़ा विधानसभा में भाजपा के बाबुधन मुर्मू और झामुमो के हेमलाल मुर्मू के बीच कांटे की लड़ाई है। यह सीट झामुमो की परंपरागत सीट मानी जाती है। अब तक इस सीट पर भाजपा का कमल नहीं खिला है। पिछले चुनाव में दिनेश मरांडी ने भाजपा के दानियल किस्कू को 13 हजार वोटों से पराजित किया था। इस बार झामुमो ने दिनेश का टिकट काटकर हेमलाल पर भरोसा जताया है। वहीं टिकट नहीं मिलने से नाराज दिनेश ने भाजपा का दामन थाम लिया है।
11. महेशपुर
महेशपुर एसटी सुरक्षित विधानसभा सीट में झामुमो के प्रो. स्टीफन मरांडी एवं भाजपा के नवनीत हेम्ब्रम के बीच सीधी टक्कर है। महेशपुर सीट पर झामुमो ने सबसे अधिक जीत दर्ज की है। पिछले 20 साल से यहां भाजपा का कमल नहीं खिल सका है। 2024 के विधानसभा चुनाव में स्टीफन मरांडी अपनी जीत की हैट्रिक लगाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
12. दुमका
दुमका सीट से झामुमो के बसंत सोरेन दूसरी बार दंगल में हैं। बसंत वर्ष 2020 में हुए उपचुनाव में भाजपा की प्रत्याशी डा.लुईस मरांडी को हराकर विधायक बने थे। इधर भाजपा ने दुमका से पूर्व सांसद सुनील सोरेन पर दाव लगाया है। सुनील दुमका संसदीय सीट पर झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन को पराजित कर सांसद बने थे। इस बार उनका सामना शिबू सोरेन के छोटे पुत्र बसंत सोरेन से है।
13. शिकारीपाड़ा
दुमका के अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीट शिकारीपाड़ा से 35 साल के बाद झामुमो ने एक नए चेहरे आलोक सोरेन को दंगल में उतारा है। आलोक के पिता दुमका के सांसद है और इससे पूर्व वह लगातार 35 साल से शिकारीपाड़ा से विधायक थे। आलोक के सामने भाजपा ने परितोष सोरेन पर भरोसा किया है। परितोष इससे पूर्व भी शिकारीपाड़ा सीट से भाजपा व झाविमो की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं।
14. जामा
जामा अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीट है। जामा सीट झामुमो की परंपरागत सीटों में से एक है। पूर्व में यहां से झामुमो की सीता सोरेन लगातार तीन बार विधायक चुनी जाती रही हैं। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में झामुमो छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद झामुमो ने यहां भाजपा से झामुमो में शामिल हुईं पूर्व मंत्री डा.लुईस मरांडी पर दांव लगाया है। जबकि भाजपा की ओर से पिछले दो बार चुनाव हार चुके सुरेश मुर्मू पर तीसरी बार दांव लगाया है।
15. जरमुंडी
जरमुंडी सामान्य श्रेणी की सीट है और यहां से लगातार दो बार चुनाव जीत चुके कांग्रेस के प्रत्याशी बादल पत्रलेख और भाजपा के देवेंद्र कुंवर के बीच मुकाबला है। बादल हेमंत कैबिनेट के कृषि मंत्री थे। अबकी बार इन्हें जीत के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। देवेंद्र भी पूर्व में इस सीट से दो बार चुनाव जीत कर विधायक बन चुके हैं।
16. जामताड़ा
जामताड़ा विधानसभा की जनरल सीट पर कांग्रेस के इरफान अंसारी और भाजपा की सीता सोरेने के बीच दिलचस्प मुकाबला है। पहली बार भाजपा ने सीता सोरेन के रूप में एसटी उम्मीदवार उतारकर चुनाव का रोमांच बरकरार रखने का भरसक प्रयास किया है। लगातार दूसरी बार विधायक व हाल में मंत्री बने इरफान अंसारी की ताकत 31 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता के साथ झामुमो का समर्थन है।
17. नाला
नाला में झामुमो और भाजपा में सीधी टक्कर है। झामुमो प्रत्याशी विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो और कुछ महीने पहले तक आजसू में रहे भाजपा प्रत्याशी माधव चंद्र महतो आमने-सामने हैं। पिछले दो विस चुनावों में यहां से रबींद्रनाथ ने झामुमो के टिकट पर जीत दर्ज कर चुके हैं।