बेंगलुरु: लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को देश की सत्ता से हटाने के लिए बेंगलुरु में विपक्षी दलों की सोमवार को दूसरी बैठक होगी। कहा जा रहा है कि आज की इस बैठक में देश के अलग -अलग राज्यों की कुल 26 पार्टियों के नेता हिस्सा लेंगे।
इस बैठक का नेतृत्व कांग्रेस पार्टी कर रही है। यही वजह है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 8 नए दलों को न्यौता दिया है। ये बैठक पहले शिमला में होने वाली थी, लेकिन हिमाचल प्रदेश में लगातार भारी बारिश की वजह से आयोजन के स्थान को बदल दिया गया है।
इस बैठक का मकसद केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ 2024 के आम चुनाव से पहले विपक्षी मोर्चेबंदी तैयार करना है। जिससे विपक्ष चुनाव में NDA को चुनौती देता नजर आए। हालांकि विपक्ष की तरफ से PM उम्मीदवार कौन होगा? इस पर स्थिति साफ नहीं है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार का कहना है कि अभी सभी पार्टियों को एकजुट करने की कोशिश की जा रही है। विपक्ष में प्रधानमंत्री का चेहरा कौन होगा? इस पर चर्चा नहीं होगी।
सोनिया गांधी के शामिल होने की संभावना:
पटना में हुई पिछली बैठक से यह बैठक खास है। क्योंकि इस विपक्षी एकता बैठक में पहली बार कांग्रेस की सबसे बड़ी नेता सोनिया गांधी के शामिल होने की संभावना है। जानकार मानते हैं कि कांग्रेस इस बैठक को हर प्रकार से लीड करना चाह रही है। ताकि लोगों में यह संदेश जाए कि विपक्ष में सबसे बड़ा कद उसी का है और उसके छतरी के नीचे सभी विपक्षी दल एकजुट हैं।
8 नए दलों को मिलाकर 26 पार्टियों के नेता आने की संभावना
दूसरी बैठक में विपक्षी ताकत को और मजबूत बनाने के लिए 8 और दलों को निमंत्रण भेजा गया है। जिसमें मरूमलारची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (MDMK), कोंगु देसा मक्कल काची (KDMK), विदुथलाई चिरुथिगल काची (VCK), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML), केरल कांग्रेस (जोसेफ) और केरल कांग्रेस (मणि) ने हामी भरी है। हालांकि इसमें दो पार्टियां KDMK और MDMK 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान BJP की सहयोगी रह चुकी हैं।
23 जून को हुई थी पहली बैठक तब 17 पार्टियों के नेता शामिल हुए थे
अगर पहली बैठक की बात करें तो यह 23 जून को बिहार के CM नीतीश कुमार ने पटना में बुलाई थी। इसमें जनता दल यूनाइटेड (JDU), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), आम आदमी पार्टी (AAP), द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK), तृणमूल कांग्रेस (TMC), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्क्सिस्ट CPM, CPI (ML), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP), नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), सपा, JMM और NCP समेत 17 राजनीतिक दल शामिल हुए थे। इस बार विपक्षी कुनबे को और मजबूत करने के लिए 26 दलों के नेताओं के शामिल होने की बात कही जा रही है।
NDA की बैठक 18 जुलाई को
वहीं विपक्ष की बैठक के एक दिन बाद यानी 18 जुलाई को NDA की बैठक होगी। ऐसा माना जा रहा है कि इस बैठक में करीब 30 पार्टियों के नेता सरकार के साथ नजर आएंगे। इसके लिए भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने NDA के सहयोगियों को आमंत्रण पत्र भेजना शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि इस बैठक में चिराग पासवान, ओपी राजभर समेत NDA से दूर जा चुकीं कई पार्टियों के नेता नजर आएंगे। माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार हो सकता है, जिसमें कई दूसरी पार्टियों के नेताओं को मंत्री बनाया जा सकता है। इसमें चिराग पासवान का नाम सबसे आगे है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार में ओपी राजभर के पार्टी की इंट्री हो सकती है। उन्हें या उनके बेटे को मंत्री बनाए जाने की संभावना है।
कांग्रेस ने माना आप का कहना
कहा जा रहा है कि विपक्षी दलों की बैठक से पहले कांग्रेस ने आप की शर्त मान ली है। वह दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों को लेकर चली कानूनी लड़ाई में अदालत की ओर से दिये गये आदेश के साथ खड़ी होगी। केंद्र की ओर से इस फैसले के बाद अध्यादेश लाया गया। दिल्ली सरकार इसका विरोध कर रही है।
आप चाहती है कि दूसरे विपक्षी दल भी केंद्र के फैसले का विरोध करें। संसद में अध्यादेश को कानून बनने से रोके। आप विशेष रूप से कांग्रेस से समर्थन की अपेक्षा कर रही थी। कांग्रेस के दिल्ली और पंजाब के नेता नहीं चाहते थे कि शीर्ष नेतृत्व आप की मांग का संसद में समर्थन करे। हालांकि मौजूदा स्थिति में कांग्रेस और आप दोनों को एक दूसरे की जरूरत महसूस हो रही है।