आखिर कब तक आम जनता को एक एफआईआर करवाने के लिए बार बार थाना का चक्कर लगाना होगा ?
हालांकि खबर लिखे जाने तक एफआईआर ले ली गई है लेकिन क्या? एक एफआईआर करवाने के लिए लड़ाई करना जरूरी है? पूछता है पूरा झारखण्ड ?
रांची से शिबू कुमार रजक : बताया जा रहा है कि मामला विगत 24.04.2025 को डीसी कार्यालय रांची परिसर में एक फाइनेंस कर्मी की काली रंग की बाइक JH12F- 8608 चोरी हो गई मोटरसाइकिल के मालिक जयप्रकाश कुमार कोतवाली थाना पहुंचे और एफआईआर के लिए बोला लेकिन वहां के सब इंस्पेक्टर द्वारा कहा गया कि गवाह लेकर आइए तो आप ही बताए जब गवाह रहता ही तो बाइक चोरी ही नहीं होती आम व्यक्ति कहा से गवाह लेकर आए उसी सिलसले में जब पत्रकार ने बात करने का प्रयास किया तो कोतवाली थाना रांची के सब इंस्पेक्टर लक्की रानी और कांस्टेबल पत्रकार पर ही भड़क गए कहा दिमाग नहीं है।
जब पत्रकार ने वीडियो रिकॉर्ड चालू किया तो उनलोगों ने हस के बात करना चालू कर दिया और पुनः कैमरा ऑफ होते ही उनलोगों ने धमकी दी कि सरकारी काम में बाधा डालने के जुर्म में अंदर कर देंगे तो बताएं एक पत्रकार को ये लोग धमकाने से और मोबाइल छीनने से बाज नहीं आ रहे हैं तो आम इंसान का क्या हाल होता होगा।
जरा सोचिएगा किस तरफ जा रही है हमारी कानून व्यवस्था क्या थाना के लोग से सवाल करेंगे तो सच में अंदर कर दिया जाएगा. यहां तक कि कोतवाली थाना के प्रभारी इतना असामाजिक है कि कॉल रिसीव कर कट कर देते है. अब सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक पत्रकारों के साथ इस तरह का व्यवहार होता रहेगा।

















