झारखंड : आदिवासी नेताओं ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर गंभीर आरोप लगये हैंं. दरअसल, जुग जाहेर थान को लेकर नया विवाद गया है. साथ ही राज्यपाल को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है.
बता दें कि करीब सात महीने पहले हेमंत सोरेन व उनकी पत्नी कल्पना सोरेन के साथ मधुबन थाना क्षेत्र के दिशोम मांझी थान मे पूजा की थी. इसके बाद हेमंत सोरेन व कल्पना सोरेन वहां से चले गए थे. लेकिन वहां की एक तस्वीर वायरल हुई थी. इस संबंध में मधुबन थाने में आज्ञत लोगों के खिलाफ कांड संख्या 13/2024 दर्ज किया गया था.
अब इस मामले में कुछ लोगों को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 35(3) के तहत नोटिस दिया गया है. इस मामले को लेकर मरांग बुरु सांवता सुसार बैसी फ्रंट पर आ गया है और हेमंत सरकार पर दोहरा चरित्र अपनाने का आरोप लगा रहा है. बैसी के अध्यक्ष नुनुका टुडू, सचिव सिकंदर हेम्ब्रम, संयुक्त सचिव अर्जुन हेम्ब्रम के अलावा बुधन हेम्ब्रम ने हेमंत सोरेन पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
राज्यपाल से क्या मांग की?
उन्होंने राज्यपाल को पत्र लिखकर मामले से निर्दोष लोगों को मुक्त करने तथा भारत सरकार के ऑफिस मेमोरेंडम संख्या 11-584/2014-डब्लूएल के संकल्प को रद्द/संशोधित कर क्षेत्र को “जुग जाहेर थान दिशोम मांझी थान” घोषित कर आदिवासी समाज की पारंपरिक पूजा में आ रही बाधा को दूर करने की मांग भी की है.
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि बैसी ने नेताओं ने बताया कि 19 जुलाई 2024 को सीएम हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन और समर्थकों के साथ दिशोम मांझी थान में पूजा करने गए थे. इस दौरान यहां डीसी के साथ एसपी और बीडीओ भी मौजूद थे.
मांझी थान में सीएम और उनकी पत्नी ने दस बकरियों को अक्षत खिलाया था. लेकिन खिलाने के बाद पूजा में मुख्य भूमिका निभा रहे बाबूराम सोरेन और पुजारी चांदोलाल टुडू से समाज के लोगों ने सवाल किया कि बकरे की बलि दी जाएगी या नहीं.
तो इसके जवाब में कहा गया कि अक्षत खिलाए गए बकरे की बलि नहीं दी जाएगी तो किसकी बलि दी जाएगी. आगे बैसी के नेताओं का आरोप है कि उस दिन जब मुख्यमंत्री मांझीथान से जाने लगे तो पुजारी के आदेशानुसार दस बकरों में से एक की बलि दे दी गई. और बाकी के 9 बकरों को लेकर मुख्यमंत्री के कुछ समर्थक भाग गए.
आदिवासी नेताओं ने कहा कि हम सभी आदिवासी लोग बकरे को अक्षत खिलाते हैं और वहीं पर उसकी बलि देते हैं. आदिवासियों के धार्मिक अनुष्ठानों में यही परंपरा रही है. यहां सीएम ने दोहरा चरित्र अपनाया है.
“जाहेर थान और मरांग बुरु” पर भरोसा है, तो वह खुलकर ऐलान करें”
आगे आदिवासी नेताओं ने कहा कि हम आदिवासी सवाल करते हैं कि अगर हेमंत सोरेन जी को “जुग जाहेर थान, दिशोम मांझी थान और मरांग बुरु” पर भरोसा है, तो वह इसका खुलकर ऐलान करें और जैन धर्म और आदिवासियों की संस्कृति के बीच भ्रम को दूर करने का संतुलित रास्ता निकालकर आदिवासी समाज का दिल जीतने का काम करें. ऐसा करने के बजाय 19 जुलाई 2024 को पूजा के बाद बलि को असामाजिक बताकर मामला दर्ज कर दिया गया..
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