काकीनाडा: आंध्र प्रदेश पुलिस ने काकीनाडा जिले में एक बड़े साइबर फ्रॉड रैकेट का पर्दाफाश किया. शातिरों ने फर्जी बैंक खातों का इस्तेमाल करके करोड़ों रुपये की ठगी की. एसपी बिंदु माधव के अनुसार गिरोह ने 48 ऐसे खातों का उपयोग करके 8.80 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की. इसका जाल काकीनाडा से लेकर बेंगलुरु और दुबई तक फैला हुआ था. मुख्य आरोपी पुट्टा राम मूल रूप से काकीनाडा जिले के समरलाकोटा का रहने वाला है. वह बेंगलुरु चला गया था और बाद में दुबई जाने से पहले गोवा के एक कैसीनो में काम करता था, जहां वह वर्तमान में रहता है. वहां उसने अपने संपर्कों का लाभ उठाकर साइबर अपराध गिरोह का मास्टरमाइंड बना.
कैसे दिया अंजाम
राम ने नरनी सतीशचंद्र, दासरी सत्यनारायण प्रसाद (दोनों समरलाकोटा से) और काकीनाडा के उदय किरण के साथ मिलकर काम किया. तीनों ने स्थानीय लोगों की पहचान की और उन्हें अपने नाम से बैंक खाते खोलने के लिए राजी किया. फिर इन खातों को 30,000 रुपये प्रति खाते के हिसाब से गिरोह को सौंप दिया गया. खाताधारकों को मासिक भुगतान और छोटे ऋण का लालच दिया गया था. ऐसे ही एक मामले में काकीनाडा के कोर्रा लवकृष्णा ने कर्नाटक बैंक में एक खाता खोला, यह सोचकर कि उन्हें हर महीने 5,000 रुपये मिलेंगे. हालांकि, जब भुगतान कभी नहीं आया तो उन्होंने अपने खाते की जाँच की और यह जानकर चौंक गए कि उनकी जानकारी के बिना ₹50 लाख का लेन-देन हुआ था. उन्होंने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.
पुलिस जांच और गिरफ्तारियां
एसपी बिंदु माधव ने एसडीपीओ मनीष देवराज पाटिल के नेतृत्व में तीन विशेष टीमों को मामले को सुलझाने का काम सौंपा. जांच में 48 फर्जी खातों की पहचान हुई. फिर सतीश और प्रसाद की गिरफ्तारी हुई जबकि उदय किरण फरार है. पुलिस ने 50 अकाउंट किट भी जब्त किए हैं और पुट्टा राम को पकड़ने के लिए लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया है, जो फिलहाल दुबई में है.
शातिरों ने ऐसे किया फ्रॉड
- साइबर अपराधियों ने बैंक खाते खोलने के लिए खाताधारकों को नकद और सिम कार्ड मुहैया कराए
- खाता खुल जाने के बाद पासबुक, एटीएम कार्ड, चेकबुक और सिम कार्ड गिरोह को सौंप दिए गए
- फिर खातों का इस्तेमाल धोखाधड़ी के माध्यम से प्राप्त बड़ी रकम को इधर-उधर करने और लूटने के लिए किया गया
पुलिस ने चेताया
एसपी बिंदु माधव ने चेतावनी दी कि जो लोग बैंक खाते खोलते हैं और उन्हें दूसरों को सौंपते हैं, भले ही पैसे के लिए वे कानूनी रूप से साइबर अपराध में शामिल हैं. लोगों को यह समझना चाहिए कि फटाफट पैसा कमाने के चक्कर में किसी और के लिए खाता खोलना उन्हें गंभीर कानूनी परेशानी में डाल सकता है. उन्हें अपराध में भागीदार माना जाएगा.