अयोध्या राम मंदिर का प्रसाद इलायची दाना जांच के लिए भेजा गया है। मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर मिली शिकायत के बाद खाद्य सुरक्षा विभाग ने सैंपल लिया और राजकीय प्रयोगशाला झांसी भेजा। एक भक्त ने संदेह के आधार पर जांच का अनुरोध किया…
लोकतंत्र सवेरा न्यूज़ : तिरुपति बालाजी के लड्डू प्रसादम में मिलावट की खबरों के बाद अब मंदिरों के प्रसाद पर लोग संदेह करने लगे हैं। इसी संदेह को दूर करने के लिए एक रामभक्त ने मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल आईजीआरएस पर अयोध्या राममंदिर में वितरित होने वाले प्रसाद की जांच का भी अनुरोध किया है। इस अनुरोध को गंभीरता से लेते हुए खाद्य सुरक्षा विभाग ने सैंपलिंग करके उसकी जांच प्रयोगशाला भेज दिया है।
रोजाना बंटते हैं औसतन 80 हजार पैकेट
रामलला जब से टेंट से निकलकर नए अस्थायी स्ट्रक्चर में आए तब से इलायची दाना का प्रसाद वितरित किया जाने लगा। इसमें भी चीनी इलायची दाना के अलावा किसी अन्य खाद्य पदार्थ को नहीं मिलाया जाता है। तीर्थ क्षेत्र के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता कहते हैं कि प्रति दिन औसतन 80 हजार इलाचयी दाना का पैकेट प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। सहायक खाद्य आयुक्त मानिक चंद सिंह ने बताया कि आईजीआरएस से मिली शिकायत के बाद हैदरगंज में जिस स्थान पर इलायची दाना का प्रसाद बनता है वहां से सैंपलिंग करके जांच के लिए झांसी राजकीय प्रयोगशाला भेज दिया गया है।
रामलला का भोग उनकी ही रसोई में होता है निर्मित
राममंदिर में रामलला की स्पेशल रसोई है। जिसमें उनके रसोईये पूरी सनातन परंपरा के मानक के अनुसार उनका भोग प्रसाद अलग अलग समय के अनुसार बनाते हैं। सामान्य रूप से रामलला को रसोई में बनी पूड़ी, सब्जी और खीर का भोग लगाया जाता है। वहीं कुछ प्रसाद रामलला के भोग के लिए बाहर से भी मंगाए जाते हैं। इसमें से मुख्य रूप से पेड़ा, पान, फल, मेवा जैसी खाद्य वस्तु शामिल है। खास ये है कि पान व पेड़ा तीन तीन पीढ़ियों से एक ही हलवाई व दुकान से आता है। इसके पीछे की वजह भी शुद्धता है। भोग लगाया हुआ प्रसाद आम भक्तों में वितरित नहीं किया जाता है। यह प्रसाद आरती के समय कुछ सीमित भक्तों समेत वहां के पुजारियों व तीर्थ क्षेत्र के पदाधिकारियों कर्मियों में बंट जाता है।
हनुमानगढ़ी के बाहर बिकने वाले लड्डू में मटर की मिलावट
सहायक आयुक्त मानिक चंद सिंह ने बताया कि समय समय पर हनुमानगढ़ी के बाहर लड्डू प्रसाद की सैंपलिंग होती रहती है। तिरुपति प्रकरण के पहले सैंपलिंग कराई गई थी। उसकी रिपोर्ट भी आ गई है। भेजे गए बेसन के लड्डू के सैंपल में चने की बजाय मटर की तत्व पाए गए थे। अभी तक हनुमानगढ़ी अखाड़ा या अन्य किसी ने तिरुपति के बाद से किसी तरह की सैंपलिंग की कोई अनुरोध नहीं किया है। जल्द ही जरूरत पड़ेगी तो फिर से सैंपल लिया जाएगा।