चांडिल। सरायकेला खरसावां जिला के ईचागढ़ प्रखंड की पुरानडीह–तमारी–अतारग्राम–डुमटांड़ मुख्य सड़क इन दिनों अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है, और उसी रास्ते से चलने वाली हजारों की आबादी दिन–प्रतिदिन पीड़ा झेलने को मजबूर है। क्षेत्र के लोगों में गुस्सा उबाल पर है—लेकिन अफसोस, व्यवस्था अब भी बेखबर बनी हुई है। यह वही सड़क है जिसे पातकुम, चिमटिया और मैसाढ़ा पंचायतों की लाइफलाइन कहा जाता है। बच्चों के स्कूल–कॉलेज से लेकर मरीजों को अस्पताल ले जाने तक, मजदूरों, किसानों और सब्जी विक्रेताओं की रोज़ी–रोटी तक—सब कुछ इसी सड़क से होकर गुजरता है। यही रास्ता बुंडू–तमाड़ मिलन चौक, रांची, सिल्ली, ईचागढ़ प्रखंड कार्यालय, चांडिल अनुमंडल और कुकड़ू बाजार होते हुए बंगाल तक जोड़ता है।

लेकिन आज यह सड़क सड़क कम और गड्ढों की लंबी श्रृंखला ज्यादा नजर आती है। बरसात में हालात इतने खराब हो जाते हैं कि पूरी सड़क तालाब बन जाती है। वाहनों की आवाजाही घंटों ठप पड़ जाती है। हर सफर अब दुर्घटना के खौफ के साथ शुरू होता है और दुआओं के सहारे पूरा होता है।
स्थानीय लोग पूछते हैं—
“आखिर कब तक झेलेंगे हम ये पीड़ा? क्या हमारी जान इतनी सस्ती है?”
विस्थापित अधिकार मंच के अध्यक्ष राकेश रंजन महतो का गुस्सा भी साफ झलकता है। उन्होंने सड़क की स्थिति पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा—
“यह सड़क तीन पंचायतों की जीवनरेखा है। जनता रोज़ाना जान जोखिम में डालकर सफर कर रही है। अब इंतजार नहीं—सड़क का निर्माण आपात आधार पर तुरंत शुरू हो।”
राकेश रंजन महतो ने आरोप लगाया कि लगातार शिकायतों और वर्षों की पीड़ा के बाद भी प्रखंड प्रशासन, क्षेत्रीय विधायक और सांसद—किसी ने भी इस सड़क को प्राथमिकता नहीं दी। जबकि सड़क की स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है। विस्थापित अधिकार मंच ने साफ कहा है कि अब जनता चुप नहीं बैठेगी। प्रशासन और संबंधित विभागों से मांग की गई है कि—
“इस मार्ग को तुरंत दुरुस्त कराया जाए, ताकि लोग सम्मानजनक, सुरक्षित और निर्बाध आवागमन का अधिकार वापस पा सकें।”
ईचागढ़ के लोग अब सिर्फ एक ही बात कह रहे हैं—
“सड़क चाहिए… भरोसा नहीं।”



