मशहूर कवि “डॉक्टर हरिओम पवार” की कविता…
“मेरा गीत चांद है ना चांदनी है आज कल.. न किसी के प्यार की रागनी है आज कल… मेरा गीत हास्य भी नहीं है माफ कीजिए.. मेरा गीत साहित्य का भाष्य भी नहीं है माफ कीजिए…”
मैं गरीब के रूदन के आंसुओं की आग हूं।
मैं गरीब के रूदन के आंसुओं की आग हूं।।
भूख के मजार पर जला हुआ चिराग हूं।
भूख के मजार पर जला हुआ चिराग हूं।।
लिख रहा हूं इसलिए की इंकलाब ला सकूं।
भूखे और कार्डधारियों के चेहरे पर मुस्कान ला सकूं।
खास रिपोर्ट ..जमशेदपुर : कोल्हान के तीन जिले पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां तथा पश्चिमी सिंहभूम में कार्डधारियों के बीच बांटने के लिए आया चावल का बोरा बर्मामाइंस रेलवे कंटेनर साइडिंग में खुले में उतरा जाने लगा इसी बीच तेज आंधी के साथ बारिश भी आ गया. शुक्रवार की इस मूसलाधार बारिश में लगभग हजारों की संख्या चावल के बोरे भींग गए. वैसे बारिश में खाद्यान्नों को सुरक्षित करने के लिए कुछ उपाय किया गया है लेकिन वो पूरी तरह से पर्याप्त नहीं है।
पानी में चावल बोरा भींगने से चावल खराब होने की आशंका…
जानकारी के अनुसार नरसिंहपुर सेंटर जबलपुर मध्य प्रदेश से गुड्स ट्रेन से 36 बोगियों में लगभग 46000 से भी अधिक बोरा चावल का बोरा टाटानगर आया था. शुक्रवार को ट्रेन के पहुंचने के बाद उसे रेलवे कंटेनर साइडिंग में खड़ा किया गया. इसके बाद बोगी से मजदूरों के माध्यम से बोरा को नीचे उतारा गया. इसी दौरान अचानक तेज आंधी और बारिश आने से खुले आसमान के नीचे उतारा गया बोरा भींग गया. इससे चावल पूरी तरह से खराब होने की आशंका जताई जा रही है।
काम न आया प्लास्टिक और तिरपाल…
मूसलाधार बारिश में चावल के बोरे को प्लास्टिक और तिरपाल से ढककर बचाने का प्रयास भी काफी नहीं था।
पूछने पर बचने बचाने का करते रहे प्रयास….
जब इस बात की सूचना मिलने पर बर्मामाइंस रेलवे कंटेनर साइडिंग पर जाकर इस पर जानने का प्रयास किया गया तो वहां पर मौजूद लोग से इस बात का कोई ठोस जवाब नही मिला सब एक ही बात कह रहे थे यहां ऐसा कुछ नही है सबकुछ ठीक ठाक है।
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