रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने आज एक अहम फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया जिसमें 2016 में जिलों के उपायुक्त जमीन की डीड की रद्द करने का अधिकार दिया गया था। आज हाईकोर्ट ने कहा की उपायुक्तों को सेल डीड कैंसिल करने का अधिकार नहीं है. इससे जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश गौतम कुमार चौधरी की अदालत ने फैसला सुनाया है.
क्या कहा अदालत ने
मालूम हो की उपायुक्तों द्वारा 33 सेल डीड कैंसिल करने के खिलाफ हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल हुई थी. इसपर पूर्व में ही फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. कोर्ट ने बताया कि अगर फर्जीवाड़ा कर जमीन की खरीद बिक्री हुई है तो उसको सिविल कोर्ट में चुनौती दी जानी चाहिए. उपायुक्त को इसपर कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है. यह जानकारी हाईकोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने दी है.
राज्य सरकार ने पूर्व में दिया था DC को ये अधिकार
2016 में तत्कालीन राज्य सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर जिलों के उपायुक्तों को अधिकार दिया था कि कागजात में गड़बड़ी कर जमीन की खरीद बिक्री करने पर उस जमीन की सेल डीड को निरस्त किया जा सकता है. इस आधार पर अलग अलग जिलों के कई उपायुक्तों ने कई सेल डीड को निरस्त किया था. इन फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने उपायुक्तों द्वारा सेल डीड से संबंधित एफआईआर को भी निरस्त कर दिया है.
गोड्डा सांसद की पत्नी ने भी दी थी चुनौती
गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दूबे की पत्नी अनामिका गौतम की ओर से देवघर में सेल डीड निरस्त करने के मामले को भी चुनौती दी गई थी. उनका आरोप था कि देवघर के श्यामगंज की जमीन से जुड़े सेल डीड को कैंसिल कर दिया गया था. सेल डीड कैंसिल किए जाने से जुड़े मामले को सांसद निशिकांत दूबे की पत्नी अनामिका गौतम के अलावा विनोद शंकर झा, मुन्ना लाल और पुरूषोतम राय की ओर से याचिका दायर कर चुनौती दी गई थी.जिसपर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाया।