चाणक्य शाह की कलम से : शायद ही किसी ने सोचा होगा की बचपन में स्टंटबाजी का शोक रखने वाला एक युवक समाज में समाजसेवा के नाम पर मिशाल बन जाएगा. साल 2009 की वो काली रात जिसमें रवि जायसवाल हादसे का शिकार हो जाते हैं और उनके पीछे कमर की हड्डी टूट जाती है. और उनकी आंखो के आगे अंधेरा सा छा जाता है. इलाज के लिए रवि जायसवाल को वेल्लोर ले जाया जाता है. लेकिन वहां के डॉक्टर रवि जायसवाल को जवाब दे देते है. डॉक्टरों ने श्री जायसवाल को कहा की आप कभी नही चल सकते. लेकिन उसके बाद भी रवि जायसवाल हार नही मानते और वापस जमशेदपुर चले आते है. और जमशेदपुर में ही इलाज करवाना शुरू करवाते है. और लगभग 6 महीने इलाज के बाद रवि जायसवाल के जीवन में खुशियां फिर से वापस लौट आती है. और वो पहले की तरह हर काम उतनी ही आसानी से करने लगते है. श्री जायसवाल उस दिन को याद करते हुए उनके आंखों में आंसू आ जाता है. और वो कहते है. माता रानी की कृपा है. जिससे की मैं आज इस मुकाम पर हूं. और आपकी सेवा में तत्पर लगा रहता हूं. इतना ही नहीं रवि जायसवाल कहते है. माता रानी ने मुझे इस काबिल बनाया है. तभी तो में आपके सुख-दुख बांट पाता हूं। यही कारण हैं कि आज कोई भी गरीब असहाय रवि जायसवाल के दरबार से खाली हाथ नहीं लौटता।