लगभग 10 वर्षो से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले मंत्री बादल पत्रलेख अपनी क्षेत्र की जनता का दिल जीतने में नाकाम साबित हुए.इससे आलाकमान खफा चल रहे हैं.सूत्रों की माने तो मंत्री बादल पत्रलेख के पर कतरने की भी तैयारी चल रही है.
झारखंड : लोकसभा चुनाव सम्पन्न हो गया.केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बन गयी.नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने.अब झारखंड विधानसभा चुनाव की बारी है, जहां कुछ महीने बाद चुनाव होना है.झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम राजनीतिक दल अपनी तैयारी शुरू कर चुकी है.हांलिया सम्पन्न लोकसभा चुनाव में विधानसभा वार प्रदर्शन को आधार मानकर राजनीतिक दल समीक्षा कर रही है.
दिल्ली में आयोजित समीक्षा बैठक में राहुल गांधी जाता चुके है नाराजगी
सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में बैठक हुई.बैठक में लोकसभा चुनाव में झारखंड के प्रदर्शन पर चर्चा हुई.बताया जा रहा है कि राहुल गांधी प्रदर्शन से खुश नहीं हैं.खासकर वैसे विधायक और मंत्री से जो अपने क्षेत्र में प्रत्याशी को बढ़त दिलाने में नाकाम रहे.
गठबंधन के तहत संथाल परगना प्रमंडल के 3 में से 1 सीट मिली थी कांग्रेस को, हुई पराजय
संथाल परगना प्रमंडल को झारखंड की सत्ता का प्रवेश द्वार माना जाता है.प्रमंडल में 3 लोकसभा और 18 विधानसभा क्षेत्र आता है.लोकसभा चुनाव में गठबंधन के तहत राजमहल और दुमका सीट पर झामुमो प्रत्याशी मैदान में उतरे जबकि गोड्डा सीट से कांग्रेस ने विधायक दीपिका पांडेय सिंह से टिकट वापस लेकर प्रदीप यादव को अखाड़े में उतार दिया.झामुमो ने दोनों सीट पर जीत का परचम लहराया, जबकि गोड्डा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव को बीजेपी प्रत्याशी निशिकांत दुबे ने एक लाख से ज्यादा मतों से पराजित कर जीत का चौका लगाया.
वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में प्रमंडल के 18 में से 9 सीट पर झामुमो, 5 सीट पर कांग्रेस और 4 सीट पर बीजेपी को मिली थी सफलता
झारखंड में 2019 के चुनाव परिणाम को देखें तो संथाल परगना प्रमंडल में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया था. 18 में से 9 पर झामुमो 5 सीट पर कांग्रेस और 4 सीट पर बीजेपी ने कब्जा जमाया.कांग्रेस के 5 में एक सीट पोड़ैयाहाट भी शामिल है, जहां से प्रदीप यादव झाविमो के टिकट पर चुनाव जीत कर आए और झाविमो का बीजेपी में विलय होने के बाद कांग्रेस का दामन थाम लिया.इसके अलावे महागामा, जरमुंडी, पाकुड़ और जामताड़ा सीट से कांग्रेस की जीत हुई.इस प्रकार देखें तो प्रमंडल के जिस 5 सीट पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया, उसमे महागामा, पोड़ैयाहाट और जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र गोड्डा लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत आता है. इसके बाबजूद गोड्डा लोक सभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी की हार से पार्टी आलाकमान खफा बताए जा रहे हैं.
वर्ष 2024 के लोस चुनाव में गोड्डा लोस क्षेत्र के 6 विधान सभा मे 4 पर इंडी गठबंधन, जिसमें 3 सीट पर कांग्रेस का कब्जा, फिर भी हार गए कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव
वर्ष 2024 के गोड्डा लोक सभा चुनाव परिणाम को देखें तो 6 विधानसभा क्षेत्र में से वर्तमान में 4 सीट पर इंडी गठबंधन का कब्जा है.इसमें से 3 सीट पर कांग्रेस के विधायक हैं. इसके बाबजूद कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव एक लाख से ज्यादा मतों से हार गए.
मंत्री बादल पत्रलेख से आलाकमान को थी सबसे ज्यादा उम्मीद, वहीं मिली सबसे बड़ी पराजय
विधानसभा वार चुनाव परिणाम को देखें तो गोड्डा, पोड़ैयाहाट, जरमुंडी और देवघर विधानसभा में बीजेपी प्रत्याशी निशिकांत दुबे को बढ़त मिली जबकि महागामा और मधुपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी बढ़त लेने में सफल रही.वैसे तो कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव अपने विधानसभा क्षेत्र में पिछड़ गए लेकिन पार्टी आलाकमान को सबसे ज्यादा अपेक्षा जरमुंडी विधान सभा क्षेत्र से था. जरमुंडी से बादल पत्रलेख दूसरी बार विधायक बने हैं और वर्तमान इंडी गठबंधन की सरकार में 4 वर्षों से मंत्री के पद पर विराजमान हैं.इसके बाबजूद जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी प्रत्याशी निशिकांत दुबे को 107082 मत और कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव को 62684 मत मिले. इस तरह कांग्रेस प्रत्याशी 44398 मतों से पिछड़ गए जो उनकी हार के लिए निर्णायक साबित हुआ.
मंत्री बादल पत्रलेख का पर कतरने की तैयारी!
लगभग 10 वर्षो से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले मंत्री बादल पत्रलेख अपनी क्षेत्र की जनता का दिल जीतने में नाकाम साबित हुए.पार्टी आलाकमान को जितनी बड़ी उम्मीद मंत्री बादल से थी उतनी बड़ी पराजय का सामना जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र से करना पड़ा.इससे आलाकमान खफा चल रहे हैं.सूत्रों की माने तो मंत्री बादल पत्रलेख के पर कतरने की भी तैयारी चल रही है.
आगामी विधानसभा चुनाव तमाम दलों के लिए है बेहद अहम, पार्टियां फूंक फूंक के रख रही है कदम
खैर, जो भी हो.इतना जरूर है कि झारखंड के आगामी विधानसभा चुनाव तमाम राजनीतिक दलों के लिए बेहद अहम है.एक तरफ एनडीए गठबंधन 5 वर्षो बाद सत्ता में वापसी के लिए रणनीति बना रही है, तो दूसरी ओर इंडी गठबंधन सत्ता पर कब्जा जमाए रखने की कबायद में लगी है.हर एक दल तमाम सीटों पर सभी तरह के समीकरणों को धयान में रख कर जीत के लिए गुना भाग कर रही है.