रांची: झारखंड में बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव राज्य के उपभोक्ताओं पर भारी पड़ सकता है। झारखंड विद्युत नियामक आयोग (JSERC) ने राज्य में बिजली टैरिफ 6.65 रुपये प्रति यूनिट से बढ़ाकर 8.65 रुपये प्रति यूनिट करने का प्रस्ताव पेश किया है। यह प्रस्ताव झारखंड विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) द्वारा प्रस्तुत किया गया है, और अगर यह लागू होता है, तो उपभोक्ताओं को अपनी बिजली की खपत पर अधिक राशि चुकानी पड़ेगी।
क्यों बढ़ेगा बिजली का टैरिफ?
JBVNL के अधिकारियों का कहना है कि बिजली के उत्पादन और वितरण की लागत बढ़ने के कारण यह कदम उठाना आवश्यक हो गया है। कोयले, गैस और अन्य संसाधनों की कीमतों में वृद्धि के साथ-साथ बिजली उत्पादन के लिए की जाने वाली अन्य जरूरी चीजों की लागत भी बढ़ गई है। इसके अलावा, वितरण नेटवर्क की मरम्मत और आधुनिकीकरण के लिए भी अधिक खर्च हो रहा है।
मुख्य कारणों में शामिल हैं:
1. उत्पादन लागत: कोयले और अन्य संसाधनों की बढ़ती कीमतों के कारण बिजली उत्पादन महंगा हो गया है।
2. वितरण लागत: बिजली वितरण नेटवर्क की तकनीकी और वाणिज्यिक खराबी के कारण होने वाले नुकसान को कवर करने के लिए कीमतों में वृद्धि की आवश्यकता है।
3. बकाया वसूली: राज्य में बिजली बकाया राशि की वसूली न होने से निगम को वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
प्रभावित होने वाले उपभोक्ता वर्ग
अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो झारखंड के विभिन्न उपभोक्ता वर्गों पर इसका सीधा असर पड़ेगा:
घरेलू उपभोक्ता: जिनकी मासिक खपत कम है, उन्हें प्रति माह 50-100 रुपये का अतिरिक्त भार झेलना पड़ सकता है।
औद्योगिक उपभोक्ता: उद्योगों को बिजली दरों में बढ़ोतरी के कारण उत्पादन की लागत में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ेगा, जिससे माल की कीमतें भी प्रभावित हो सकती हैं।
कृषि उपभोक्ता: कृषि क्षेत्र पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि किसानों को कृषि कार्यों के लिए बिजली मिलती है। हालांकि, सरकार के पास किसानों के लिए सब्सिडी देने का विकल्प हो सकता है।
सरकार का रुख
झारखंड सरकार ने कहा है कि वह इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार करेगी, लेकिन उपभोक्ताओं पर न्यूनतम असर डालने की कोशिश की जाएगी। ऊर्जा मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा, “बिजली की गुणवत्ता में सुधार और 24 घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए यह कदम जरूरी है, लेकिन हम उपभोक्ताओं की चिंताओं को भी ध्यान में रखेंगे।”
विशेषज्ञों की राय
कृषि और बिजली क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि यदि दरें बढ़ती हैं तो झारखंड में उद्योगों और घरेलू उपभोक्ताओं के लिए आर्थिक दबाव बढ़ सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि बिजली चोरी और वितरण प्रणाली की खराबी को सुधारने से राज्य की वित्तीय स्थिति बेहतर हो सकती है, जिससे दरों में वृद्धि की आवश्यकता नहीं पड़े।
वैकल्पिक समाधान
वितरण प्रणाली सुधार: बिजली चोरी और वितरण की खामियों को दूर करने के लिए सरकार को कदम उठाने होंगे।
नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग: सौर और पवन ऊर्जा जैसे वैकल्पिक स्रोतों को बढ़ावा देना बिजली उत्पादन के खर्च को कम कर सकता है।
राज्य सब्सिडी: गरीब और मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए सरकार सब्सिडी दे सकती है।
झारखंड में बिजली टैरिफ में प्रस्तावित बढ़ोतरी से राज्य के उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ सकता है। हालांकि, सरकार और निगम दोनों ही इस बढ़ोतरी के पीछे वित्तीय मजबूरी को बता रहे हैं। अब यह देखना होगा कि झारखंड विद्युत नियामक आयोग इस प्रस्ताव को मंजूरी देता है या नहीं, और यदि मंजूरी मिलती है तो उपभोक्ताओं के लिए राहत के उपाय क्या होंगे।