प्रयागराज : संगम तट पर बने अखाड़ों में नये नागा साधु बनाने के लिए पर्ची कटनी शुरू हो गयी है. मौनी अमावस्या से पूर्व सातों शैव समेत दोनों उदासीन अखाड़े अपने परिवार में नये नागा साधु शामिल करेंगे. जूना अखाड़े में शनिवार से यह प्रक्रिया शुरू हो गयी. 48 घंटे बाद तंगतोड़ क्रिया के साथ नागा साधु बनने की पक्रिया पूरी होगी. महानिर्वाणी, निरंजनी, अटल, अग्नि, आवाहान समेत उदासीन अखाड़ों में भी मौनी अमावस्या से नागा साधु बनाये जायेंगे. सभी अखाड़ों में 1800 से अधिक साधुओं को नागा बनाया जायेगा।
संस्कार पूरा होने के बाद सभी नवदीक्षित नागा मौनी अमावस्या पर अखाड़े के साथ अपना पहला अमृत स्नान करेंगे. जूना अखाड़े में शनिवार को नये साधुओं की चोटी काटी गयी. चोटी कटने के बाद दोबारा कोई नागा सामाजिक जीवन में नहीं लौट सकता. गंगा में 108 डुबकी लगाने के बाद क्षौर कर्म और विजय हवन होगी. यहां पांच गुरु उनको अलग-अलग वस्तु देंगे. संन्यास की दीक्षा अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर देंगे. इसके बाद हवन होगा. 19 जनवरी की सुबह लंगोटी खोलकर वह नागा बना दिये जायेंगे।
हालांकि, उनको वस्त्र के साथ अथवा दिगंबर रूप में रहने का विकल्प भी दिया जाता है. जूना के बाद निरंजनी और महानिर्वाणी में संस्कार नागा बनाने की शुरुआत सबसे पहले जूना अखाड़े से शुरू हुई. शुक्रवार को धर्मध्वजा के नीचे तपस्या के साथ यह आरंभ हो गयी. दो दिन के बाद नस तोड़ अथवा तंगतोड़ क्रिया के साथ नागा संन्यासियों की दीक्षा पूरी होगी।