जमशेदपुर : कांग्रेस पार्टी के टेल्को कॉलोनी मंडल अध्यक्ष देबाशीष घोष ने जिले में ऑनलाइन एफआईआर (FIR) व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा कि जब पूरा जमशेदपुर और जिला डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ रहा है, तो फिर ऑनलाइन एफआईआर की सुविधा सिर्फ तीन थानों तक ही सीमित क्यों है? यें तीन थानो के नाम है जमशेदपुर के कदमा, सोनारी और पोटका थाना! जबकि झारखण्ड की राजधानी रांची लगभग सभी थानो मे ऑनलाइन FIR प्रणाली लागु किया जा चूका है।
देबाशीष घोष ने प्रशासन से मांग की है कि जिले के सभी थानों में ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करने की सुविधा जल्द से जल्द शुरू की जाए, ताकि आम जनता को सुगमता से न्याय मिल सके। उन्होंने कहा कि कई मामलों में पीड़ितों को थानों के चक्कर लगाने पड़ते हैं, जिससे समय की बर्बादी होती है और न्याय प्रक्रिया भी धीमी हो जाती है।
उन्होंने आगे कहा कि यदि पूरे राज्य में डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है, तो जमशेदपुर के सभी थानों में यह सुविधा लागू करने में देरी क्यों हो रही है? प्रशासन को इस ओर तुरंत ध्यान देना चाहिए।
Online FIR (First Information Report) की निगरानी कानून-व्यवस्था को प्रभावी बनाने और नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण है।….
Online FIR प्रणाली से यें सारी सहूलियत जनता को मिल सकती है….
1. स्वचालित ट्रैकिंग सिस्टम:
- प्रत्येक ऑनलाइन FIR को एक यूनिक ट्रैकिंग आईडी दी जानी चाहिए, जिससे शिकायतकर्ता उसकी स्थिति ऑनलाइन देख सके।
- पुलिस और प्रशासन के लिए एक डैशबोर्ड होना चाहिए, जिससे लंबित FIRs की निगरानी हो सके।
2. रियल-टाइम अपडेट्स और नोटिफिकेशन:
- FIR दर्ज होने के बाद संबंधित अधिकारी और शिकायतकर्ता को SMS/Email अपडेट भेजे जाएं।
- FIR के स्टेटस अपडेट के लिए एक सार्वजनिक पोर्टल उपलब्ध हो।
3. जांच और फॉलो-अप की टाइमलाइन तय हो:
- प्रत्येक FIR के समाधान के लिए एक समयसीमा होनी चाहिए।
- किसी भी देरी की स्थिति में वरिष्ठ अधिकारी स्वतः अलर्ट हो जाएं।
4. फर्जी और दुर्भावनापूर्ण FIR की पहचान:
- AI और डेटा एनालिटिक्स की मदद से फर्जी या झूठी FIR को फ़िल्टर किया जाए।
- FIR की स्वतंत्र समीक्षा समिति बनाई जाए जो झूठी शिकायतों की जांच करे।
5. पब्लिक फीडबैक सिस्टम:
- शिकायतकर्ता से FIR के समाधान के बाद फीडबैक लिया जाए, जिससे सिस्टम में पारदर्शिता बनी रहे।
- अगर शिकायतकर्ता असंतुष्ट हो, तो वह सीधे उच्च अधिकारियों से संपर्क कर सके।
6. CCTV और GPS ट्रैकिंग से निगरानी:
जांच अधिकारियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए GPS और CCTV ट्रैकिंग का उपयोग किया जाए।
इससे जांच में पारदर्शिता बनी रहेगी और किसी भी तरह की लापरवाही को रोका जा सकेगा।
अगर यह प्रणाली सही से लागू की जाए, तो नागरिकों का पुलिस और न्याय प्रणाली पर विश्वास मजबूत होगा और अपराध नियंत्रण में मदद मिलेगी।
इसीलिए देबाशीष घोष ने प्रसाशन से मांग की जल्द से जल्द ऑनलाइन FIR प्रणाली सारे थानो मे लागु हो!
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