रायपुर : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कानून-व्यवस्था को खुलेआम चुनौती देने वाले अपराधी अब सोशल मीडिया को नया हथियार बना चुके हैं। गुंडा तत्व, निगरानी बदमाश और हत्या जैसे संगीन अपराधों में शामिल आरोपी अब सोशल मीडिया पर खुलेआम हथियारों के साथ वीडियो पोस्ट कर रहे हैं। इन वीडियो का मकसद आम जनता के मन में भय पैदा करना और अपने आप को बाहुबलियों की तरह पेश करना है। हैरानी की बात यह है कि ऐसे वीडियो वायरल होने के बावजूद इन अपराधियों पर कोई खास असर नहीं पड़ रहा, जिससे यह साफ होता है कि उन्हें पुलिस और कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है।
हाल ही में एक और ऐसा वीडियो सामने आया है, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में एक युवक जन्मदिन की पार्टी के नाम पर पिस्टल ताने हुए नजर आ रहा है। वह दूसरे युवक को निशाना बनाते हुए दिखाई देता है, जबकि आसपास कुछ युवक हँसते और उसका साथ देते नजर आ रहे हैं। यह पूरा दृश्य न केवल अवैध हथियारों के खुले प्रदर्शन को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि रायपुर में अपराधियों का आत्मविश्वास किस हद तक बढ़ गया है। इस वीडियो की जनता से रिश्ता द्वारा स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार यह वीडियो रायपुर के ही किसी मोहल्ले या बस्ती का है, जहां बदमाशों की दबंगई और गैंगवॉर जैसी घटनाएं आए दिन सामने आती रहती हैं। बताया जा रहा है कि यह वीडियो पुलिस अधिकारियों तक भी पहुंचा दिया गया है और पुलिस इसकी जांच कर रही है।
रायपुर में पहले भी कई मामलों में ऐसे वीडियो वायरल हो चुके हैं, जिनमें युवक तलवार, पिस्टल, कट्टा और अन्य घातक हथियारों के साथ रील बनाते और पोस्ट करते पाए गए हैं। कुछ वीडियो में तो आरोपी खुद को किसी फिल्मी डॉन की तरह पेश करते हैं और पुलिस को सीधी चुनौती देते नजर आते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे Instagram, Facebook, और WhatsApp इन अपराधियों के लिए अब नया मंच बन चुके हैं, जहां वे अपने गुनाहों को न केवल दिखा रहे हैं, बल्कि उसे एक “स्टेटस सिंबल” की तरह भी प्रचारित कर रहे हैं।
पुलिस ने बीते कुछ महीनों में कुछ ऐसे अपराधियों को गिरफ्तार भी किया है, जो हथियारों के साथ वीडियो बनाकर शेयर कर रहे थे, लेकिन हर गिरफ्तारी के बाद नए नाम सामने आते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या केवल गिरफ्तारी पर्याप्त है या फिर जरूरत है एक कड़ी और स्थायी नीति की, जिससे अपराधियों के सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने पर लगाम लगाई जा सके?
इस पूरे घटनाक्रम ने रायपुर पुलिस के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। एक तरफ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की निगरानी, दूसरी तरफ अपराधियों की साइबर गतिविधियों पर नियंत्रण—यह दोनों ही ज़िम्मेदारियाँ अब स्थानीय पुलिस प्रशासन के कंधों पर हैं। साइबर सेल और क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीमें ऐसे मामलों की निगरानी के लिए लगाई गई हैं, लेकिन जब तक इन अपराधियों के खिलाफ ठोस और समयबद्ध कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब तक राजधानी की जनता इस डिजिटल दहशत से मुक्त नहीं हो सकती। इस मामले में अब देखना यह है कि वायरल वीडियो की जांच के बाद पुलिस किस दिशा में कार्रवाई करती है। क्या आरोपी की पहचान कर उसे गिरफ्तार किया जाएगा या यह मामला भी बाकी मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा? रायपुर की जनता को जवाब का इंतज़ार है।
