सरायकेला : नारायण आईटीआई, लुपुंगडीह, चांडिल में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक, भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती श्रद्धा एवं गरिमामय वातावरण में मनाई गई।
कार्यक्रम में संस्थान के शिक्षकगण, कर्मचारी तथा प्रशिक्षार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक सह भाजपा प्रदेश कार्य समिति सदस्य डॉ जटाशंकर पांडे जी ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रमुख राजनेता, ओजस्वी वक्ता, संवेदनशील कवि और भारत के तीन बार प्रधानमंत्री रहे। उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में हुआ।
उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी शिक्षक थे। प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर में हुई और उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने लक्ष्मीबाई कॉलेज तथा DAV कॉलेज, कानपुर से अध्ययन किया। वाजपेयी जी युवावस्था से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े और राष्ट्रसेवा की ओर अग्रसर हुए।
श्री पांडे ने कहा वे राजनीति में भारतीय जनसंघ के माध्यम से आए, जो आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) बनी। वे BJP के संस्थापक नेताओं में से एक थे।
उनका संसदीय जीवन अत्यंत प्रभावशाली रहा। वे कई बार लोकसभा सांसद चुने गए। वे विदेश मंत्री भी रहे, जहाँ उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देकर भारत का मान बढ़ाया।
अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने—1996 (13 दिन)
1998–2004 (पूर्ण कार्यकाल)
उनके शासनकाल की प्रमुख उपलब्धियाँ:
पोखरण परमाणु परीक्षण (1998)
स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना (राष्ट्रीय राजमार्ग विकास)सरव शिक्षा अभियान
पड़ोसी देशों से शांति पहल, विशेषकर पाकिस्तान से संवाद वाजपेयी जी राजनीति में सहमति, संवाद और लोकतांत्रिक मूल्यों के पक्षधर थे। वे कविताएँ भी लिखते थे, जिनमें राष्ट्रप्रेम और मानवीय संवेदनाएँ झलकती हैं। उनके योगदान के लिए उन्हें भारत रत्न (2015) से सम्मानित किया गया।
16 अगस्त 2018 को नई दिल्ली में उनका निधन हुआ।
इस अवसर पर मुख्य रूप से मौजूद रहे ट्रस्टी संजय सिंह, इंदु कुमारी , प्राचार्य जयदीप पांडे, शांति राम महतो, प्रकाश महतो, देवाशीष मंडल, शुभम साहू, भगत लाल तेली, शशि प्रकाश महतो,पवन महतो,गौरव महतो कृष्ण पद महतो एवं भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
