चांडिल। दीनबंधु पांडा : चांडिल अनुमंडल अंतर्गत कुकड़ू प्रखंड की ओढ़िया पंचायत स्थित दयापुर–कुमारी गांव में स्थित ऐतिहासिक एवं धार्मिक आस्था का केंद्र छाता पोखर मकर संक्रांति पर्व पर लगने वाले छाता पोखर मेला के कारण पूरे क्षेत्र में विशेष महत्व रखता है। मकर संक्रांति के अवसर पर दुलमी, दयापुर, ओढ़िया, हेंसालोंग, पलाशडीह, जानुम, कुमारी, झापागोड़ा, झिमड़ी, पारगामा, किशुनडीह, सिरुम, काररगामा, बेरासी, आदारडीह, बंदाबीर, चौका, लापांग, ईचाडीह, लेटेमदा, दारुदा सहित दर्जनों गांवों से हजारों श्रद्धालु छाता पोखर पहुंचकर पवित्र स्नान एवं पूजा-अर्चना करते हैं।
इस संबंध में विस्थापित अधिकार मंच फाउंडेशन के अध्यक्ष राकेश रंजन महतो ने बताया कि वर्तमान में चांडिल डैम का जलस्तर 180 आरएल से अधिक होने के कारण छाता पोखर, छाता मां का मंदिर, पूजा स्थल एवं मेला क्षेत्र जलमग्न है। जलभराव और कीचड़ की स्थिति के कारण मकर संक्रांति पर्व और छाता पोखर मेला के आयोजन में गंभीर बाधा उत्पन्न होने की आशंका बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि छाता पोखर का ऐतिहासिक, पौराणिक एवं धार्मिक महत्व है। लोकमान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के पावन अवसर पर ताल-बेताल सिद्ध महाराज द्वारा यहां स्नान एवं पूजा की परंपरा प्रारंभ की गई थी। वहीं एक अन्य लोककथा के अनुसार महाराज विक्रमादित्य ने अपनी पत्नी प्रभावती देवी के स्नान हेतु दैविक शक्ति से एक ही रात में विशाल छाता पोखर का निर्माण कराया तथा उसके मध्य छाता मां के मंदिर की स्थापना कराई थी। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
क्षेत्रवासियों की गहरी आस्था है कि छाता मां के दरबार में सच्चे मन से की गई पूजा से संतान सुख, रोग मुक्ति, पारिवारिक सुख-शांति एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। विवाह एवं पारिवारिक संकट से जुड़ी लोकमान्यताओं में भी छाता मां को संकट हरने वाली देवी के रूप में विशेष स्थान प्राप्त है।
राकेश रंजन महतो ने बताया कि छाता पोखर केवल धार्मिक आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि विस्थापित परिवारों की सांस्कृतिक पहचान और परंपरा से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। इसे देखते हुए उपायुक्त सरायकेला–खरसावां को ज्ञापन सौंपकर यह जनमांग रखी गई है कि प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति पर्व एवं छाता पोखर मेला से पूर्व चांडिल डैम का जलस्तर नियमानुसार 180 आरएल से नीचे किया जाए, ताकि पूजा स्थल और मेला क्षेत्र सुरक्षित रह सकें।
उन्होंने बताया कि इस मांग पत्र की प्रतिलिपि माननीय विधायक (ईचागढ़ विधानसभा), माननीय सांसद (रांची लोकसभा), उपाध्यक्ष जिला परिषद सरायकेला–खरसावां, कार्यपालक अभियंता डैम डिवीजन–2 चांडिल, मुख्य अभियंता एवं प्रशासक स्वर्णरेखा परियोजना आदित्यपुर, अनुमंडल पदाधिकारी चांडिल तथा जिला परिषद सदस्य चांडिल को भी आवश्यक कार्रवाई हेतु भेजी गई है।
उन्होंने जिला प्रशासन से जनआस्था, धार्मिक परंपरा और सामाजिक सौहार्द को ध्यान में रखते हुए शीघ्र सकारात्मक कदम उठाने की मांग की, ताकि मकर संक्रांति पर्व एवं छाता पोखर मेला शांतिपूर्ण, श्रद्धापूर्वक और सुव्यवस्थित ढंग से संपन्न हो सके। इस अवसर पर नरेश साहू भी उपस्थित थे।
