लोकतंत्र सवेरा : झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन से नाता तोड़ लिया है और घोषणा की है कि वह छह सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगा। यह फैसला सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन में चल रही खींचतान के बाद आया है, जिसमें JMM को उसकी मांग के मुताबिक सीटें नहीं मिलीं।

सीट बंटवारे पर विवाद…..
JMM ने बिहार में 12 सीटों की मांग की थी, लेकिन महागठबंधन के अन्य दलों द्वारा उचित हिस्सेदारी नहीं दिए जाने के कारण नाराज़गी उत्पन्न हुई।
JMM ने महागठबंधन को 15 अक्टूबर तक स्पष्ट स्थिति देने का अल्टीमेटम दिया था। जब सम्मानजनक सीटें तय नहीं हुईं, तब JMM ने अलग होने का फैसला लिया।
महागठबंधन में मतभेद….
महागठबंधन के अन्य घटक दलों — RJD, कांग्रेस, वामदल, और VIP — के बीच भी सीटों को लेकर खींचतान जारी है।
कई सीटों पर ‘फ्रेंडली फाइट’ की स्थिति बन गई है, जहां महागठबंधन के घटक दल आपस में ही चुनाव लड़ रहे हैं।
JMM का अगला कदम…..
JMM ने साफ किया है कि वह बिहार की छह विधानसभा सीटों पर अकेले अपने उम्मीदवार उतारेगा।
JMM ने झारखंड में महागठबंधन को दिए गए समर्थन की अपेक्षा बिहार में भी अपनाए जाने की मांग रखी थी, जो पूरी नहीं हो पाई।
इस घटनाक्रम से महागठबंधन को बड़ा झटका लगा है और इसका चुनावी समीकरणों पर भी महत्वपूर्ण असर हो सकता है।
JMM के अलग होने से महागठबंधन के सियासी नतीजे क्या होंगे…..
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन से अलग होकर छह सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने के फैसले से गठबंधन के राजनीतिक समीकरणों पर गहरा असर पड़ने के आसार हैं। विश्लेषकों का मानना है कि इससे न केवल सीट बंटवारे का संकट बढ़ा है, बल्कि विपक्षी एकता की छवि पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
प्रभाव महागठबंधन पर…….
आदिवासी बहुल इलाकों में नुकसान : JMM जिन सीटों — जैसे चकाई, कटोरिया, मनिहारी, धमदाहा, जमुई और पीरपैंती — पर लड़ रही है, वहां आदिवासी और अनुसूचित जाति वोट महागठबंधन के पारंपरिक आधार का हिस्सा रहे हैं। इन इलाकों में त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना बढ़ जाएगी, जिससे RJD और कांग्रेस को नुकसान हो सकता है।
गठबंधन की एकता पर असर : JMM का अलग होना RJD और कांग्रेस के बीच पहले से मौजूद अविश्वास को और गहरा कर सकता है। पहले से ही कई सीटों पर दोनों दलों के ‘फ्रेंडली फाइट’ में उतरने की स्थिति बनी हुई है, जिससे वोट बंटने की आशंका है।
प्रतीकात्मक झटका : JMM, झारखंड में उसी महागठबंधन का प्रमुख हिस्सा है जिसने कांग्रेस और RJD के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। ऐसे में बिहार में गठबंधन से अलग होना राष्ट्रीय “इंडिया” ब्लॉक के लिए एक प्रतीकात्मक झटका माना जा रहा है, जो विपक्षी एकता की कमजोरी को दर्शाता है।
संभावित राजनीतिक नतीजे……
बिहार के सीमावर्ती जिलों में एनडीए को सीधा फायदा हो सकता है, क्योंकि विपक्षी मत अब तीन हिस्सों में बंट सकते हैं।
महागठबंधन की सीटों का संभावित नुकसान मुख्य रूप से दूसरी चरण की उन सीटों पर होगा जहां JMM चुनाव लड़ रही है।
JMM ने संकेत दिया है कि बिहार चुनाव के बाद वह झारखंड में भी अपने गठबंधन की समीक्षा करेगा, जिससे झारखंड सरकार की स्थिरता पर भी भविष्य में प्रश्नचिन्ह लग सकता है।
सारांशत : JMM के फैसले ने न केवल महागठबंधन के चुनावी समीकरणों को चुनौती दी है, बल्कि उसके व्यापक विपक्षी एकजुटता अभियान पर भी असर डाला है — जिससे 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्ष की स्थिति कमजोर हो सकती है।



