बंदूक की नोंक पर मंदिर में हुई बड़ी डकैती
— Utkarsh Singh (@UtkarshSingh_) August 28, 2023
बिहार के सीतामढ़ी में प्राचीन मंदिर से राधा जी की 65 किलो और भगवान कृष्ण की 70 किलो की करीब 50 लाख कीमत वाली अष्टधातु की मूर्तियाँ लूट ली गईं. पूरी वारदात CCTV में हुई कैद. pic.twitter.com/3lvgwbfeV8
BIHAR : जिले के मंदिरों में “भगवान” सुरक्षित नही है। हमेशा से चोरों की नजर मंदिरों में अष्टधातु की मूर्तियों पर रही है। चोर मूर्तियों की चोरी में सफल भी रहते है। बताया गया है कि अष्टधातु की मूर्तियों की कीमत काफी होती है। इसी कारण इन मूर्तियों की चोरी की घटनाएं अधिक होती है। गत माह बेलसंड के एक मंदिर से चोरों ने दूसरी बार अष्टधातु की मूर्तियों की चोरी कर ली थी। इस घटना का खुलासा नही हो सका है। इस बीच रीगा प्रखंड में मूर्तियों की चोरी कर ली गई। वहीं, ताजा घटना बेलसंड थाना क्षेत्र का है, जहां शुक्रवार की रात हथियारबंद अपराधियों ने चोरी की घटना को अंजाम दिया।
बताया गया है कि बेलसंड थाना क्षेत्र के चंदौली गांव में शुक्रवार की रात करीब एक बजे हथियारबंद चार अपराधियों ने कन्या मध्य विद्यालय की चहारदीवारी फांदकर राधा- कृष्ण मंदिर में प्रवेश किया। फिर चोरों ने हथियार के बल पर मंदिर के सेवक राजकिशोर साह और पुजारी राजू शास्त्री का हाथ, पैर तथा मुंह बांध दिया। सेवक को अलग बंधक बनाने के बाद इन चोरों ने पुजारी तथा पुजारिन को कमरे में बंद कर दिया। उसके बाद मंदिर का ताला तोड़कर सिंहासन पर रखे राधा कृष्ण की अष्टधातु की लगभग 200 साल पुरानी मूर्तियां चुरा ली। कृष्ण की मूर्ति लगभग चार फीट लम्बी और राधा जी की मूर्ति पौने चार फीट बताई गई है। दोनो मूर्तियों का वजन लगभग 125 किलो बताया गया है, जबकि कीमत करोड़ों रूपये आंकी गई है।
चोरों ने पुजारी का बक्सा तोड़कर उसमे रखे नगद दस हजार एवं पत्नी रीना शास्त्री का मंगलसूत्र तथा मोबाइल लूट किया। चोरों के जाने के बाद सेवक राजकिशोर किसी तरह पुजारी को बंधनमुक्त किया और घटना की सूचना मंदिर के सचिव आशुतोष कुमार को दी। सूचना पुलिस सूचना पर डीएसपी सोनल कुमारी तथा थानाध्यक्ष मनोज कुमार पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। जांच के बाद डीएसपी ने बताया कि चोरों ने मंदिरमें लगे चार सीसीटीवी कैमरे को तोड़ दिया है, लेकिन पूरी घटना का फुटेज मिल गया है। चोरों की पहचान हो गई है। जल्द ही कांड का उद्भेदन कर लिया जाएगा। डीएसपी ने अनुसंधान को गति देने के लिए मेजरगंज से श्वान दस्ता को भी बुलाया था, लेकिन तेज बारिश के कारण कोई सफलता नहीं मिली।