नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में चंद्रयान-4 मिशन को भी मंजूरी दी गई है। इस मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों को विकसित करने की योजना है। चंद्रयान-4 अभियान के तहत चंद्रमा की चट्टानों और मिट्टी को भी पृथ्वी पर लाया जाएगा, ताकि उसका अध्ययन किया जा सके।
#WATCH | Delhi | ISRO Chairman S Somanath says, "Chandrayaaan 4 mission is primarily targeted to demonstrate the technology to go to the moon and then come back. The coming back is a highlight of it, landing there has already been demonstrated by Chandrayaan-3. If you have to… pic.twitter.com/ti3alH6vH3
— ANI (@ANI) September 18, 2024
मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कैबिनेट ने शुक्र ग्रह की कक्षा संबंधी अभियान, गगनयान और चंद्रयान-4 अभियान के विस्तार को मंजूरी दी है। उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने भारी वजन ले जाने में सक्षम अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान को भी मंजूरी दी है, जो पृथ्वी की निचली कक्षा में 30 टन का पेलोड स्थापित करेगा।
एक बयान में कहा गया है कि चंद्रयान-4 मिशन प्रस्तावित वर्ष 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारने और उन्हें सुरक्षित धरती पर वापस लाने के लिए मूलभूत प्रौद्योगिकियों को विकसित करेगा। इसमें कहा गया है कि इस मिशन के तहत डॉकिंग/अनडॉकिंग, लैंडिंग, पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी और चंद्रमा पर से नमूना संग्रह और उसके विश्लेषण को पूरा करने के लिए आवश्यक प्रमुख प्रौद्योगिकियों का विकास किया जाएगा। बयान में कहा गया है कि चंद्रयान-4 मिशन पर कुल 2,104.06 करोड़ रुपये फंड की जरूरत होगी।
बयान में कहा गया है कि चंद्रयान-4 मिशन में इसरो अंतरिक्ष यान के विकास और प्रक्षेपण के लिए जिम्मेदार होगा। उम्मीद जताई गई है कि उद्योग और शिक्षा जगत की भागीदारी से यह मिशन 36 महीने के भीतर पूरा होगा। इस मिशन के तहत सभी अहम तकनीकों और प्रौद्योगिकियों को स्वदेशी रूप से विकसित किए जाने की बात कही गई है।