न्यूज : किसी भी जहरीले सांप के डंसने पर पीड़ित की मौत लगभग तय मानी जाती है. कारण, सर्पदंश के बाद पीड़ित को 100 मिनट यानी एक घंटा 40 मिनट के भीतर एंटीवेनम वैक्सीन लगवाना जरूरी है. सर्पदंश के बाद पहले 100 मिनट को ‘गोल्डन आवर’ कहा जाता है. मेडिकल भाषा में इसे रूल ऑफ 100 कहा जाता है. अगर गोल्डन आवर में इलाज नहीं किया जाये तो मरीज को बचाना मुश्किल हो जाता है. पश्चिम बंगाल में सर्पदंश से सबसे अधिक मौतें दक्षिण 24 परगना के सुंदरवन और अन्य ग्रामीण इलाकों में होती हैं।
चिकित्सकों के अनुसार, सुंदरवन में आये दिन सर्पदंश से लोगों की मौत हो जाती है. वहीं, ऐसे सुदूर इलाके में अगर किसी व्यक्ति को सांप डंस ले तो ज्यादातर मामलों में अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही उसकी मौत हो जाती है. क्योंकि, मरीज गोल्डन आवर में अस्पताल नहीं पहुंच पाता. पर, अब सर्पदंश से होने वाली मौतों पर अंकुश लगाने के लिए एक नयी दवा की खोज की गयी है. इस नयी दवा का नाम ‘वेरेसप्लाडिब मिथाइल टैबलेट’ है. इस दवा की खोज से उम्मीद जगी है. बताया जा रहा है कि अगर सभी मानकों पर दवा खड़ी उतरती है तो सर्पदंश से होने वाली मौतों पर अंकुश लगेगा।
गौरतलब है कि यहां पार्क सर्कस स्थित कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज में इस टैबलेट का सफल ट्रायल हो चुका है. अब नीलरतन सरकार (एनआरएस) मेडिकल कॉलेज में ट्रायल शुरू हुआ है. यह जानकारी कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज में ट्रायल के मुख्य निरीक्षक और मेडिसिन विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो डॉ पार्थ प्रतीम मुखोपाध्याय ने दी. उन्होंने बताया कि सबसे बड़ी बात यह है कि यह गोली सर्पदंश के बाद गोल्डन आवर को एक घंटा 40 मिनट से बढ़ा कर पांच घंटा कर देता है. जिसके कारण मरीज की हालत गंभीर नहीं होगी और इलाज के लिए चिकित्सक को समय मिल जायेगा. प्रो डॉ पार्थ प्रतीम मुखोपाध्याय ने बताया कि यह एक वैश्विक परीक्षण है जो पिछले पांच साल से भारत और अमेरिका में चल रहा है. ट्रायल अपने अंतिम चरण में है।