जब पूरी दुनिया पहलगाम में हुए दरिंदगी भरे आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की मौत पर भारत के साथ खड़ी है, तब पाकिस्तान ने एक बार फिर वही पुराना पैंतरा अपनाया है-‘मुस्लिम भाईचारे’ की दुहाई देकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को घेरने की कोशिश. पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सऊदी अरब, UAE और कुवैत के राजदूतों से मुलाकात कर भारत पर ‘तनाव कम करने’ का दबाव बनाने की गुहार लगाई है। मतलब ये कि हमला कोई और करे, खून बहाए पाकिस्तान से जुड़े आतंकी, और जब जवाब की बारी आए तो शांति, संयम और कूटनीति की बात करने लगें।
भारत को ‘सबूत’ दो, हम जांच करवाएंगे…..?
शरीफ बार-बार कह रहे हैं कि पहलगाम हमले में पाकिस्तान का कोई हाथ नहीं, और वो एक ‘तटस्थ अंतरराष्ट्रीय जांच’ के लिए तैयार हैं। भाईसाहब, सवाल ये है-क्या लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े TRF जैसे संगठनों के पाकिस्तान में ठिकाने नहीं हैं? जिन आतंकियों ने हमला किया, उनके वीडियो, बयान और नेटवर्क सबके सब आपके देश से ही जुड़े हुए हैं।
सऊदी, कतर और कुवैत का रोल: क्या पाकिस्तान की बात सुनी जाएगी…..?
सच तो ये है कि इन देशों ने सिर्फ ‘शांति बनाए रखने’ की रटी-रटाई लाइन दोहराई है। ना भारत की आलोचना की, ना पाकिस्तान का समर्थन। यानि पाकिस्तान की कोशिश धरी की धरी रह गई।
चीन भी आया मैदान में……
चीनी राजदूत ने शरीफ से मुलाकात की लेकिन, कोई ठोस बयान नहीं आया। सिर्फ इतना कि ‘दोनों पक्ष संयम बरतें’। मतलब साफ है-पाकिस्तान के पास कोई ठोस समर्थन नहीं बचा।
भारत क्या कर रहा है…..?
भारत एक-एक करके ट्रेड फैसिलिटी रद्द कर रहा है। डिजिटल स्ट्राइक कर रहा है (पाक चैनल्स और नेताओं के अकाउंट बंद)। राजनयिक स्तर पर सबूत साझा कर रहा है। और, सबसे अहम-स्ट्रैटजिक जवाब की तैयारी में जुटा है।
पाकिस्तान की ये ‘डिप्लोमेसी’ नहीं, हताशा है……
पाकिस्तान जानता है कि इस बार मामला गंभीर है। भारत अब ‘जवाब दो’ मोड में है, न कि सिर्फ ‘निंदा करो’ मोड में। मुस्लिम देशों को घसीटना इस बात का सबूत है कि पाकिस्तान कूटनीतिक तौर पर अलग-थलग पड़ गया है। अब सवाल ये है-भारत जवाब कब और कैसे देगा?


















