नई दिल्ली : Chandrayaan-3 अपने टारगेट से ज्यादा बेहतर काम कर रहा है. एक तरफ जहां प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover) सो चुका है. वहीं, Vikram Lander चांद की सतह पर छलांग लगा रहा है. इस चीज को लेकर ISRO वैज्ञानिकों ने पहले कोई जानकारी नहीं दी थी. लेकिन अब यह एक्सपेरिमेंट सफल हो चुका है. Vikram Lander ने चांद की सतह पर छलांग लगाई है. वह 40 सेंटीमीटर की ऊंचाई तक कूदा. इस दौरान उसने 30 से 40 सेंटीमीटर की दूरी भी तय की. ISRO ने ट्वीट करके कहा है कि विक्रम ने फिर से सॉफ्ट लैंडिंग की है. विक्रम लैंडर अपने मिशन ऑबजेक्टिव से ज्यादा काम किया है. इसने छलांग लगाने के एक्सपेरिमेंट को पूरा किया है।
कमांड देने के बाद विक्रम के इंजन ऑन हुए. इसके बाद वह 40 सेंटीमीटर ऊपर हवा में गया. इसके बाद उसने अपनी पुरानी जगह से 30-40 मीटर दूर नई जगह पर सॉफ्ट लैंडिंग की. यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसकी वजह से भविष्य में सैंपल रिटर्न यानी चांद की सतह से सैंपल लाने वाला मिशन और ह्यूमन मिशन को सफल बना सकते हैं. इस समय विक्रम लैंडर के सभी हिस्से और यंत्र सही से काम कर रहे हैं. यह छलांग लगाने से पहले विक्रम लैंडर के रैंप, चास्टे और इल्सा पेलोड्स को बंद कर दिया गया था. दोबारा सॉफ्ट लैंडिंग के बाद फिर से खोल दिया गया है. इसके पहले चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर को चांद पर ऐसी जगह लाकर स्लीप मोड में डाल दिया गया है, जहां दोबारा सूरज उगने पर उसे सौर ऊर्जा मिलेगी, तो वह वापस से एक्टिव हो जाएगा।
Chandrayaan-3 Mission:
🇮🇳Vikram soft-landed on 🌖, again!Vikram Lander exceeded its mission objectives. It successfully underwent a hop experiment.
On command, it fired the engines, elevated itself by about 40 cm as expected and landed safely at a distance of 30 – 40 cm away.… pic.twitter.com/T63t3MVUvI
— ISRO (@isro) September 4, 2023
चांद पर अगले एक-दो दिन में अंधेरा छाने लगेगा. सूरज ढल जाएगा. फिर लैंडर-रोवर 14-15 दिन तक रात में रहेंगे. यानी चांद की रात शुरू होने वाली है. लेकिन अभी चांद पर दिन है या यूं कहें की शाम होने वाली है. चंद्रयान 23 अगस्त 2023 की शाम छह बजकर चार मिनट पर चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास उतारा गया था. उस समय वहां पर सूरज उग रहा था. इसरो की प्लानिंग थी कि चांद के जिस हिस्से पर लैंडर-रोवर उतरें, वहां अगले 14-15 दिनों तक सूरज की रोशनी पड़ती रहे. यानी अभी वहां पर दिन है. जो अगले चार-पांच दिन ही और रहेगी. उसके बाद अंधेरा होने लगेगा. सूरज की रोशनी लैंडर-रोवर पर नहीं पड़ेगी. ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि पहले ही बैटरी को पूरी तरह से चार्ज करके सिस्टम बंद कर दिए जाएं. ताकि बाद में जरुरत पड़ने पर उन्हें फिर से ऑन किया जा सके।