पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र प्रताप सिंह ने माफिया मुख्तार अंसारी पर वर्ष 2004 में पोटा लगाया था। शैलेंद्र सिंह द्वारा माफिया के खिलाफ की गई इतनी बड़ी कार्रवाई से तत्कालीन सरकार उनसे नाराज हो गई थी। सरकार ने उन पर पोटा खत्म करने का दबाव बनाया था। स्वाभिमानी अफसर शैलेंद्र सिंह ने इससे इन्कार कर दिया तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया। इस कारण उन्होंने डिप्टी एसपी पद से इस्तीफा दे दिया था।
जनवरी 2004 में शैलेंद्र सिंह एसटीएफ की वाराणसी यूनिट के प्रभारी डिप्टी एसपी थे। शैलेंद्र सिंह ने बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से पहले मुख्तार अंसारी के एलएमजी खरीदने का राजफाश किया था। उन्होंने एलएमजी बरामद कर मुख्तार अंसारी के विरुद्ध पोटा भी लगाया था। इस पर तत्कालीन सरकार में हंगामा मच गया और शैलेंद्र सिंह पर मुकदमा वापस लेने के लिए दबाव बनाया जाने लगा।
इस पर व्यथित होकर शैलेंद्र सिंह ने यूपी पुलिस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया। शैलेंद्र सिंह के इस्तीफा देने के कुछ महीने बाद वाराणसी के कैंट थाने में डीएम कार्यालय के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी लालजी की तरफ से तोड़फोड़ मारपीट हंगामा करने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। इस मामले में शैलेंद्र सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया और पुलिस ने चार्जशीट तक कोर्ट में दाखिल कर दी।
वहीं, योगी सरकार ने 2021 में बहादुर अफसर शैलेंद्र सिंह पर दर्ज इस केस को वापस ले लिया था। शैलेंद्र सिंह 1991 बैच के पीपीएस अफसर हैं। शैलेंद्र सिंह के बाबा राम रूप सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। मूल रूप से चंदौली जिले के फेसुड़ा गांव के रहने वाले हैं। अब शैलेंद्र सिंह गौसेवा और आर्गेनिक खेती कर रहे हैं।
माफिया मुख्तार अंसारी की मौत पर पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र प्रताप सिंह ने जागरण से बातचीत के दौरान कहा कि किसी भी व्यक्ति के कर्म ही देर सबेर उसके सामने आते हैं। प्रभु के घर में देर है अंधेर नहीं। सबको कर्मों के अनुसार फल मिलता है। वही हाल मुख्तार अंसारी का हुआ। तमाम अपराधिक मामलों की वह जेल में सजा काट रहा था।
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