IPS Y PURAN SINGH : आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या को पांच दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक ना तो पोस्टमार्टम हुआ है और ना ही अंतिम संस्कार। उनकी आईएएस पत्नी अमनीत पी. कुमार न्याय की मांग पर अड़ी हैं और उन्होंने शव को अंतिम संस्कार के लिए देने से इनकार कर दिया है। इस मामले में सरकार और प्रशासन के शीर्ष अधिकारी लगातार परिवार को समझाने की कोशिश में जुटे हैं, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया है।दरअसल चंडीगढ़ के सेक्टर-11 में 6 अक्टूबर को एडीजीपी रैंक के अधिकारी वाई पूरन कुमार ने अपने घर में आत्महत्या कर ली थी।

उनकी आत्महत्या के बाद से हरियाणा सरकार में हलचल मची हुई है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने खुद इस पूरे मामले पर नजर रखी हुई है। उन्होंने कैबिनेट मंत्रियों, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों और दलित समुदाय के नेताओं को परिवार को समझाने की जिम्मेदारी दी है। कैबिनेट मंत्री कृष्ण लाल पंवार और कृष्ण बेदी शनिवार को पूरे दिन वाई पूरन कुमार के घर पर मौजूद रहे। दोनों ने उनकी पत्नी आईएएस अमनीत पी. कुमार से बार-बार बातचीत की और सरकार की ओर से पूरे न्याय का भरोसा दिलाया।
वरिष्ठ अधिकारियों की लगातार मुलाकातें, पर परिवार नहीं झुका….
अमनीत पी. कुमार हरियाणा सरकार में नागरिक उड्डयन विभाग और विदेश सहयोग विभाग में आयुक्त एवं सचिव के पद पर कार्यरत हैं। पति की मौत के बाद से वे लगातार इस बात पर अड़ी हुई हैं कि एफआईआर में संशोधन और निष्पक्ष जांच के बाद ही पोस्टमार्टम कराया जाएगा।
मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, गृह सचिव डा. सुमिता मिश्रा, और मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर ने भी उनसे मुलाकात कर समझाने की कोशिश की। यहां तक कि वरिष्ठ मंत्री अनिल विज भी शनिवार को उनके आवास पहुंचे। उन्होंने अमनीत कुमार के सिर पर हाथ रखकर उन्हें न्याय दिलाने का आश्वासन दिया और उनकी दोनों बेटियों से भी मुलाकात की।
दलित अधिकारियों का समर्थन, सरकार पर दबाव बढ़ा…..
इस पूरे मामले में दलित समुदाय के अधिकारी और संगठन भी सक्रिय हो गए हैं। उनका कहना है कि वाई पूरन कुमार के साथ सेवा काल में लगातार भेदभाव हुआ, जिसके चलते वे मानसिक रूप से परेशान थे। दलित अधिकारियों का यह रुख सरकार के लिए राजनीतिक और सामाजिक दबाव का कारण बन गया है।कुछ अधिकारी यह भी कह रहे हैं कि “न्याय की लड़ाई पोस्टमार्टम के बाद भी लड़ी जा सकती है,” क्योंकि शव को पांच दिन बीत चुके हैं और देरी से विसरा रिपोर्ट और साक्ष्य प्रभावित हो सकते हैं।
सरकार का आश्वासन : परिवार को मिलेगा पूरा न्याय….
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने साफ कहा है कि “परिवार के साथ कोई अन्याय नहीं होने दिया जाएगा और दोषी चाहे कोई भी हो, कार्रवाई होगी।” उन्होंने कैबिनेट मंत्रियों कृष्ण लाल पंवार और कृष्ण बेदी को कहा है कि “परिवार की सहमति के बिना कोई कदम न उठाया जाए।”
दोनों मंत्री, जो स्वयं अनुसूचित जाति समुदाय से आते हैं, परिवार को समझाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली ने भी परिवार से मुलाकात कर भरोसा दिलाया कि “सरकार निष्पक्ष जांच कराएगी।”
एफआईआर में संशोधन की मांग पर अड़ा परिवार…..
शनिवार को देर शाम चंडीगढ़ के पुलिस महानिदेशक सागरप्रीत हुड्डा ने भी अमनीत पी. कुमार से मुलाकात की। हालांकि उनकी बातचीत के बाद भी परिवार ने एफआईआर से असंतोष जताया और संशोधन की मांग दोहराई।परिवार का कहना है कि एफआईआर में मानसिक उत्पीड़न और भेदभाव के स्पष्ट बिंदु शामिल किए बिना जांच अधूरी रहेगी।



