रांची : झारखंड के जमशेदपुर स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज में एक साथ कई घोटालों से पर्दा हटा है। झारखंड एजी (अकाउंटेंट जनरल) की रिपोर्ट में तीन करोड़ 93 लाख 87 हजार 70 रुपये की अनियमितता सामने आई है। कंप्यूटर घोटाला के बाद अब एमजीएम में एनआइसीयू (निओनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट), पीआइसीयू (पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट), डिजास्टर ट्राली, फर्नीचर, केमिकल सहित अन्य बड़ा घोटाले इस रिपोर्ट में सामने आए हैं।
शिशुओं के लिए बनी एनआइसीयू व पीआइसीयू में भारी वित्तीय गड़बड़ी
रिपोर्ट में बताया गया है कि शिशुओं के लिए बनी एनआइसीयू व पीआइसीयू में भारी वित्तीय गड़बड़ी हुई है। एनआइसीयू व पीआइसीयू पर कुल 18 लाख 21 हजार 600 रुपये खर्च होने थे लेकिन इसपर एक करोड़ 37 लाख 75 हजार 500 रुपये का श्री नाथ इंजीनियरिंग सेल्स एंड सर्विस प्राइवेट लिमिटेड ने एमजीएम प्रबंधन को सौंपा।
बिना जांच-पड़ताल कर दिया गया भुगतान
इस दौरान एमजीएम प्रबंधन ने बिना कोई जांच-पड़ताल किए बिल का पूरा भुगतान श्री नाथ इंजीनियरिंग सेल्स एंड सर्विस प्राइवेट लिमिटेड को कर दिया जो अनुमानित बजट से एक करोड़ 19 लाख 53 हजार 900 रुपये अधिक है। यानी इसपर 656.23 प्रतिशत अधिक रुपये खर्च किया गया है। इतना ही नहीं, इससे संबंधित कर्मचारियों को बिना प्रशिक्षण दिए ही एजेंसी को भुगतान को कर दिया गया है।
डिजास्टर ट्राली खरीदने में भी कर दिया बजट से ज्यादा खर्च
इसी तरह, एमजीएम मेडिकल कॉलेज की ओर से खरीदी गई डिजास्टर ट्राली में भी भारी वित्तीय अनियमितता सामने आई है। डिजास्टर ट्राली का अनुमानित बजट 20 लाख रुपये था लेकिन इसे 29 लाख 99 हजार 850 रुपये में खरीदा गया है। यानी अनुमानित बजट से नौ लाख 99 हजार 850 रुपये अधिक। इस मशीन की सप्लाई भी श्री नाथ इंजीनियरिंग सेल्स एंड सर्विस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा ही की गई है। वहीं, फर्नीचर खरीद व मरम्मत में भी भारी गड़बड़ी हुई है।
इन सामग्रियों की खरीद में हुई गड़बड़ी
एमजीएम मेडिकल कॉलेज की ओर से विभिन्न सामग्रियों की खरीद व निर्माण अलग-अलग एजेंसियों से कराई गई है। जिसमें यह भारी वित्तीय अनियमितता सामने आई है। कॉलेज में विभिन्न विभागों के लिए खरीदे गए केमिकल में भी वित्तीय गड़बड़ी सामने आई है। इस तरह से कुल सामग्रियों की खरीद में तीन करोड़ 93 लाख 87 हजार 70 रुपये अधिक खर्च किया गया है। यानी अनुमानित बजट से 71 प्रतिशत अधिक खर्च किया गया। जबकि इन सबका अनुमानित बजट सात करोड़ 43 लाख 21 हजार 600 रुपये था।
घोटाला का आरोप इन छह कंपनियों पर है
– ओशियन इंटरप्राइजेज
– श्री नाथ इंजीनियरिंग सेल्स एंड सर्विस प्राइवेट लिमिटेड
– रंकिनी इंटरप्राइजेज
– कृष्णा प्रोसेसिंग एंड इंजीनियरिंग
– रंकिनी इंटरप्राइजेज देवा साइंटिफिक्स
– इंद्रा सर्जिकल एंड देवा साइंटिफिक्स
इस तरह हुआ घोटाला
– हॉस्पिटल मैनेजमेंट एवं मैनपावर के लिए 1,50,00,000 रुपये अनुमानित बजट था लेकिन खर्च 2,27,35,836 रुपये किया गया। यानी 77,35,836 (51.57 प्रतिशत) अधिक।
– एनआईसीयू एवं पीआईसीयू के लिए 18,21,600 रुपये अनुमानित बजट तय किया गया लेकिन खर्च 1,37,75,500 रुपये किया गया। यानी 1,19,53,900 (656.23 प्रतिशत) ज्यादा।
– डिजास्टर ट्राली के लिए 20,00,000 रुपये अनुमानित बजट तय किया गया लेकिन खर्च 29,99,850 रुपये किया गया। यानी 9,99,850 (49.99 प्रतिशत) रुपये अधिक।
– फर्नीचर एवं मरम्मत के लिए 40,00,000 रुपये अनुमानित बजट तय किया गया लेकिन खर्च 44,44,907 रुपये किया गया। यानी 4,44,907 (11.12 प्रतिशत) रुपये अधिक।
– फिजियोलॉजी विभाग में मरम्मत कार्य के लिए 50,00,000 रुपये अनुमानित बजट तय किया गया लेकिन खर्च 50,96,993 रुपये किया गया। 96,99,3 (1.94 प्रतिशत) अधिक।
– पैथोलॉजी विभाग में मरम्मत कार्य के लिए 50,00,000 रुपये अनुमानित बजट तय किया गया लेकिन खर्च 56,54,003 रुपये किया गया। यानी 6,54,003 (13.08 प्रतिशत) अधिक।
– माइक्रोबायोलॉजी विभाग में मरम्मत कार्य के लिए 40,00,000 रुपये अनुमानित बजट तय किया गया लेकिन खर्च 43,89,678 रुपये किया गया। यानी 3,89,678 (9.74 प्रतिशत) ज्यादा।
– नई लाइब्रेरी की मरम्मत कार्य के लिए 1,25,00,000 रुपये अनुमानित बजट तय किया गया लेकिन खर्च 1,78,50,146 रुपये हुआ। यानी 53,50,146 (4.40 प्रतिशत) ज्यादा। इस तरह से और भी कई चीजों में वित्तीय अनियमितता सामने आई है।