आजमगढ़ : सोचिए, प्याज काटते समय अगर आंखों से आंसू न निकलें और जलन भी न हो तो कितनी राहत मिलेगी। जी हां, यह सच होने जा रहा है। यह कमाल कर दिखाया है आजमगढ़ के कृषि विज्ञान केंद्र लेदौरा के वैज्ञानिकों ने। जेनेटिक इंजीनियरिंग के जरिए उन्होंने नई प्रजाति एग्रीफाउंड लाइट रेड-3 में प्याज के इस गुण को बदल दिया है। जिससे काटते समय आंखों में जलन नहीं होगी और न ही आंसू निकलेंगे। उपज भी सामान्य प्याज के मुकाबले तीन गुना अधिक होगा।
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने प्याज पर शोध करने वाली संस्था एनएचआरडीएफ (नेशनल हार्टीकल्चर रिसर्च डेवलपमेंट फाउंडेशन) के साथ मिलकर दो साल तक चले शोध के बाद प्याज की इस नई वेरायटी को तैयार किया है। इसका रंग हल्का लाल और स्वाद में हल्का तीखापन होता है। खास यह है इसका लंबे समय तक भंडारण किया जा सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, सामान्य प्याज को काटते समय उसके अंदर के सेल्स टूट जाते हैं, जिससे गैस निकलती है, जो सल्फेनिक एसिड बनाती है।
फिर यह एसिड एंजाइम के साथ मिलकर प्रोपैनथियॉल एस-ऑक्साइड नामक गैस बनाता है। जब यह गैस हमारी आंखों तक पहुंचती है तो पानी के साथ मिलकर सल्फ्यूरिक एसिड बनाती है। इसी वजह से आंखों में जलन होती है और आंसू निकलने लगते हैं। प्याज की नई प्रजाति एग्रीफाउंड लाइट रेड-3 में जेनेटिक इंजीनियरिंग के जरिए इस गुण को बदल दिया गया है। ऐसे में प्याज काटते समय उसके अंदर के सेल्स नहीं टूटेंगे। सल्फेनिक एसिड नहीं बनेगा और आंखों में जलन नहीं होगी। प्रयोग सफल होने के बाद कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने पहली बार इसकी नर्सरी तैयार की है। दिसंबर के महीने में चयनित किसानों को पौधे वितरित कर इसकी खेती कराई जाएगी।
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