NEW DELHI /Republic Day 2025: आज भारत अपना 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. राजधानी दिल्ली पूरी तरह से इस खास मौके के लिए सज चुकी है. सेना के जवान आज पूरी दुनिया को अपनी ताकत दिखाएंगे. आज स्कूलों और कॉलेजों में तिरंगा फहराने के साथ विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है. भारत के 76वें गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति इस खास पल के गवाह बनेंगे. राष्ट्रपति द्रौपदि मुर्मू परेड की सलामी लेंगी. इन सबके बीच आज हम बात करेंगे इतिहास. उस इतिहास की जब हिंदुस्तान ने पहली दफा गणतंत्र दिवस को मनाया था. और जानेंगे कि आखिर उस समय किस तरह से हिंदुस्तान ने विश्व को अपनी ताकत कैसे दिखाई थी।
हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था. स्वंतत्र होने के बाद देश ने 2 साल 11 महीने 18 दिन में अपना संविधान बनाया और 26 नवंबर 1949 को इसे अपनाया गया. इसके बाद फिर 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान को लागू किया गया. 1950 में भारत गणराज्य बन गया था. और गणतंत्र होने के साथ डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने देश के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी. और यहीं से गर्वनर जनरल का पद समाप्त हो गया था।
कहां हुआ था पहले गणतंत्र दिवस की परेड का आयोजन
26 जनवरी 1950 को पहले गणतंत्र दिवस पर पुराने किले के सामने बने नेशनल स्टेडियम में परेड हुई थी. इसे पहले ब्रिटिश स्टेडियम कहा जाता था. उस समय दोपहर 2 बजकर 30 मिनट पर भारत के राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद बग्धी में सवार होकर राष्ट्रपति भवन से निकले थे. राष्ट्रपति अपनी बग्घी से ही कनॉट प्लेस और नई दिल्ली का चक्कर लगाते हुए 3 बजकर 45 मिनट पर नेशनल स्टेडियम पहुंचे थे. यहां पर उन्होंने तिरंगा फहराया और 31 तोपों की सलामी ली. इसके बाद से भारतीय सेना ने परेड शुरू की थी।
भारतीय सेना ने दिखाई थी अपनी ताकत
भारत का पहला गणतंत्र दिवस अपने आप में बहुत ही भव्य था. देश को आजादी मिले 2 साल से ज्यादा हो चुके थे. और हिंदुस्तान अपना पहला गणतंत्र दिवस मना रहा था. जल, थल और वायु सेना की टुकड़ियों ने इसमें हिस्सा लिया था. पहले गणतंत्र दिवस की परेड में लगभग 3 हजार जवान शामिल था. उस समय परेड की अगुवाई कमांडर ब्रिगेडियर जेएस ढिल्लन ने किया था. भारत के पहले गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुकर्णों थे।
आजादी के बाद हिंदुस्तान की एयरफोर्स के पास आज की तरह आधूनिक लड़ाकू विमान नहीं थे लेकिन उस समय के डकोटा और स्पिटफायर जैसे छोटे विमानों ने दुनिया को यह दिखा दिया था कि भारत की क्या ताकत है. इस परेड में भारतीय वायुसेना के 100 विमानों ने अपनी ताकत दिखाई थी।