जौनपुर : वैसे तो प्रेम को अनेक प्रकार से परिभाषित किया गया है। किया जाता रहा है। कोई कहता है कि प्यार अंधा होता है। प्यार का कोई धर्म नहीं होता है। प्यार ऊंच-नींच, काला-गोरा, अमीर-गरीब और उम्र नहीं देखता प्यार किसी से भी और कभी भी हो सकता है वगैरह, वगैरह…।
लेकिन ठहरिए। प्यार के नाम पर कुछ भी कहने, सुनने और मानने से पहले ठहरिए। रिश्ते, मान-मर्यादा भी कोई चीज होती है। यह विषय बहस का है। एक बार फिर बहस छिड़ पड़ी है। प्यार में सही और गलत की अपने-अपने हिसाब से व्याख्या की जा रही है।
इस ताजा बहस का केंद्र बिंदु बना है उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले का ताजुद्दीन गांव। यह गांव इनदिनों खूब चर्चा में है। यहां से ही यह खबर सामने आई कि एक चाचा को अपनी बेटी समान भतीजी से प्यार हो गया। इस प्यार का बुखार ऐसा चढ़ा कि दोनों ने शादी भी रचा ली है।
परिवारों को देनी पड़ी मंजूरी, मंदिर में रचाई गई शादी
वैसे तो इलाके में यही चर्चा है कि कलियुग में अब प्यार के नाम पर रिश्तों की पवित्रता कलंकित हो रही है। उत्तर प्रदेश के जौनपुर मर्यादा की सीमा को लांघने को लेकर खूब चर्चा गर्म है। चाचा ने अपनी सगी भतीजी से प्यार का इजहार करते हुए मंदिर में शादी कर ही ली। चाचा-भतीजी की जिद के आगे दोनों परिवारों को भी मंजूरी देन पड़ गई। दोनों परिवारों की मौजूदगी में चाचा-भतीजी की शादी मंदिर में करा दी गई। पूरा मामला मड़ियाहूं कोतवाली क्षेत्र के ताजुद्दीन गांव का है।
तीन वर्षो से चल रहा था प्रेम संबंध
मडियाहूं गांव के रहने वाला एक चाचा अपनी ही भतीजी को दिल दे बैठा। दोनों का तीन साल से प्रेम संबंध चल रहा था। इस प्रेम संबंध में दोनों के बीच परिवार ही रोड़ा बन रहे थे। आखिर दोनों ने एक होने की ठान ली। चाचा ने भतीजी से ही शादी कर ली। लाख समझाने के बाद भी जब चाचा-भतीजी नहीं माने तो कोतवाली परिसर में स्थित हनुमान मंदिर में दोनों की शादी करा दी गई। शादी में दोनों के परिवार के लोग भी शामिल हुए।
सोशल मीडिया पर शादी की तस्वीरें हुई वायरल
सोशल मीडिया पर दोनों की शादी की तस्वीरें वायरल हो गई है। इन तस्वीरों को लेकर भी लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। शादी के बाद स्टाम्प पेपर पर दोनों की सहमति भी दर्ज कराई जा चुकी है। कोतवाली परिसर में स्थित हनुमान मंदिर में भतीजी से शादी करने के बाद शुभम ने बताया कि वह अपनी भतीजी रिया से पिछले तीन सालों से प्रेम करता है।
इस संबंध के सख्त खिलाफ थे गांव वाले
चाचा-भतीजी में हुई शादी के बाद गांव के बड़े-बुजुर्ग दांतो तले उंगली दबा रहे हैं। बस हर कोई घोर कलियुग की दुहाई देकर इस शादी को हिन्दू रीति रिवाज व धर्म के ख़िलाफ़ बता रहा है। दबी जुबान से लोगों का कहना है की हिन्दू धर्म में भतीजी, बेटी के समान होती है। फिर उसके साथ इस तरह की सोच का भी मन में आना पाप है। शादी करना तो बड़ी दूर की बात है।