● अटल जी के अटल इरादों के कारण झारखंड को मिला अलग राज्य का दर्जा
● सम्मेलन में वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का हुआ सम्मान
जमशेदपुर। भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मशताब्दी के अवसर पर सोमवार को भाजपा जमशेदपुर महानगर के तत्वावधान में अटल विरासत सम्मेलन का आयोजन किया गया। बिष्टुपुर स्थित तुलसी भवन के सभागार में जिलाध्यक्ष सुधांशु ओझा की अध्यक्षता में आयोजित सम्मेलन में हजारीबाग के पूर्व सांसद एवं झारखंड भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. यदुनाथ पांडेय मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए। सम्मेलन के दौरान प्रदेश मंत्री नंदजी प्रसाद, प्रदेश प्रवक्ता अमरप्रीत सिंह काले, अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य रमेश हांसदा, जिला महामंत्री अनिल मोदी, संजीव सिंह समेत कार्यक्रम के सह संयोजक संजीव सिन्हा व कई गणमान्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ अटल बिहारी वाजपेयी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इस अवसर पर स्वागत संबोधन में सुधांशु ओझा ने कहा कि अटल जी का व्यक्तित्व विशाल था और उनके साथ कार्य करना जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों में से एक है। उन्होंने बताया कि जमशेदपुर महानगर के विभिन्न मंडलों से अटल जी के साथ कार्य कर चुके वरिष्ठजनों को आमंत्रित कर उन्हें सम्मानित किया गया है। सम्मेलन में उनके जीवन, व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारित विशेष वीडियो प्रदर्शित किया गया। प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रदर्शित डॉक्यूमेंट्री में अटल जी के संघर्ष, नेतृत्व, सुशासन, राष्ट्रभक्ति और ऐतिहासिक फैसलों को विस्तार से दिखाया गया।
सम्मलेन को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता डॉ. यदुनाथ पांडेय ने अटल जी की राजनीतिक प्रतिबद्धता और उनकी विचारधारा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि झारखंड अलग राज्य के निर्माण का श्रेय अटल जी को जाता है। उन्होंने झारखंड आंदोलन के संघर्ष और उन दिनों हुए विश्वासघातों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 1914 से अलग झारखंड राज्य की मांग को लेकर आंदोलन जारी था, लेकिन जब भी यह आंदोलन अपने चरम पर पहुंचता, तब कुछ नेताओं द्वारा इसे बेच दिया जाता था। इतिहास में कई ऐसे नाम दर्ज हैं, जिन्होंने आंदोलन को सौदेबाजी का जरिया बना लिया था। उन्होंने कहा कि झारखंड अलग राज्य निर्माण का श्रेय अटल बिहारी वाजपेयी को जाता है, जिन्होंने न केवल इस आंदोलन की पवित्रता को बनाए रखा, बल्कि अपने वादे के अनुरूप वर्ष 2000 में झारखंड को अलग राज्य का दर्जा भी दिया।
डॉ. यदुनाथ पांडेय ने 1990 के एक संस्मरण को याद करते हुए कहा कि जब विधायक-सांसदों की एक कार्यशाला में अटल जी ने कहा था कि आज जो गैस सिलिंडर और टेलीफोन बेच रहे हैं, कल उनकी भी बोली लगेगी। उनके ये शब्द आज भी प्रासंगिक हैं।
डॉ. पांडेय ने कहा कि अटल जी का नेतृत्व प्रेरणादायी था। वे कहते थे कि बिका हुआ नेता कभी आंदोलन सफल नहीं कर सकता और उकसाया हुआ जानवर कभी शिकार नहीं कर सकता। उनके साथ बैठना मंदिर की मूर्ति के पास बैठने जैसा अनुभव देता था। उन्होंने याद दिलाया कि जब आतंकवादियों ने कहा था कि लाल चौक पर तिरंगा नहीं फहराने देंगे, तब 1992 में अटल जी के संकल्प के चलते वहां तिरंगा फहराया गया। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने जनजातीय मंत्रालय का गठन कर आदिवासियों के सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त किया।
डॉ. पांडेय ने 1998 में अटल जी के नेतृत्व में हुए पोखरण परमाणु परीक्षण का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जब भारत को अंतरराष्ट्रीय दबावों से जूझना पड़ा, तब अटल जी ने अपने दृढ़ संकल्प और अद्वितीय रणनीतिक कौशल से भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाया। यह भारत की संप्रभुता और सुरक्षा को लेकर उनकी दूरदृष्टि का परिणाम था। अंत में, उन्होंने कहा कि अटल जी की विरासत को संजोना और उनके विचारों को आगे बढ़ाना हम सबका कर्तव्य है। हम अतीत को संजोएंगे, वर्तमान को संवारेंगे और भविष्य को बेहतर बनाएंगे।
वहीं, प्रदेश मंत्री नंदजी प्रसाद ने कहा कि अटल जी केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि राष्ट्रनिर्माता थे। वे हर भारतीय के दिल में बसे हुए हैं। उनके नेतृत्व में भारत ने आर्थिक सुधार, राष्ट्रीय सुरक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल कीं।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अमरप्रीत सिंह काले ने कहा कि श्रद्धेय अटल जी उनके प्रेरणापुंज हैं। उनकी वाणी किसी संत की तरह होती थी। जब वे बोलते थे, तो ऐसा प्रतीत होता था जैसे घर का कोई अभिभावक स्नेह और मार्गदर्शन से भरपूर सीख दे रहा हो। उनकी भाषा में ओज था, लेकिन कटुता नहीं। वे अपने विरोधियों के प्रति भी सम्मान का भाव रखते थे, इसलिए भारतीय राजनीति में उन्हें अजातशत्रु कहा जाता है। उनके लंबे राजनीतिक जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव आए, लेकिन उन्होंने कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।
वहीँ, पूर्व जिलाध्यक्ष एवं हजारीबाग के प्रभारी अभय सिंह ने स्व. अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहा कि उनका विराट व्यक्तित्व सभी के लिए प्रेरणा है। वे केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति के आदर्श पुरुष थे, जिनकी नीति, नेतृत्व और सुशासन की मिसाल आज भी दी जाती है। प्रधानमंत्री के रूप में अटल जी ने सुशासन की एक नई परिभाषा गढ़ी।
भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य रमेश हांसदा ने कहा कि खरसवां गोलीकांड कांग्रेस की देन थी, जबकि झारखंड राज्य पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कारण अस्तित्व में आया। अटल जी ने झारखंड की जनता की पीड़ा को समझा और राज्य के गठन की ऐतिहासिक मांग को पूरा किया।
सम्मेलन में अटल जी के साथ कार्य कर चुके वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का हुआ सम्मान : सम्मेलन के दौरान भाजपा और अन्य सहयोगी संगठनों के उन वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया, जिन्होंने अटल जी के साथ कार्य किया था। सभी वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को स्मृति चिन्ह भेंटकर एवं तिलक लगाकर सम्मानित किया गया एवं कृतज्ञता व्यक्त की गई। इस दौरान मंच संचालन जिला महामंत्री सह कार्यक्रम संयोजक संजीव सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के सह संयोजक संजीव सिन्हा ने किया।
इन्हें किया गया सम्मानित : अप्पा राव, राम सिंह मुंडा, हरेंद्र पांडेय, जितेंद्र मिश्रा, किशन महाराज, सुखदेव गिरी, बिमला देसाई, दशरथ चौबे, शिव प्रकाश शर्मा, पुरुषोत्तम मिश्रा, नीलकमल शेखर, पंचम जंघेल, ओम प्रकाश सिंह, ललन चौहान, अमरेंद्र मल्लीक, अंजन सरकार, हरिकिशोर तिवारी, महेश्वर प्रसाद सिंह, हलदर नारायण साह, मोहन कुमार, श्रीराम प्रसाद, जितेंद्र मिश्रा, मनभोद दास, गौतम दास, डीडी त्रिपाठी, तारानंद कामत, सुरेश केडिया, अश्विनी अवस्थी, हरेंद्र सिंह, शैलेश पाठक, रेणु झा एवं अन्य।
इस दौरान पूर्व जिलाध्यक्ष ब्रह्मदेव नारायण शर्मा, चंद्रशेखर मिश्रा, गुंजन यादव, जटाशंकर पांडेय, कल्याणी शरण, प्रदीप महतो, संजीव सिन्हा, बबुआ सिंह, प्रदीप बेसरा, राजीव सिंह और रेणु शर्मा, अनिल मोदी, संजीव सिंह, मनोज राम, जितेंद्र राय, पप्पू सिंह, विजय तिवारी, शांति देवी, मिली दास, कृष्णा शर्मा काली, सुबोध झा, प्रेम झा, संजीत चौरसिया, अखिल सिंह, बिनोद सिंह, अमित सिंह, कौस्तव रॉय, उज्ज्वल सिंह, किशोर ओझा, नितीश कुशवाहा, सागर राय, मंजीत सिंह, नीलू मछुआ, पोरेश मुखी, रमेश बास्के, अप्पा राव, समेत मंडल अध्यक्ष युवराज सिंह, जीवन साहू, बबलू गोप, विकास शर्मा, सूरज कुमार सिंह, पप्पू उपाध्याय, संजय तिवारी, अजीत कुमार सिंह, प्रशांत पोद्दार, बजरंगी पांडेय, बिनोद राय, रविंद्र सिंह सिसोदिया, अश्विनी तिवारी, आनंद शर्मा, अमित मिश्रा, रबिन्द्रनाथ सरदार, हेमेंद्र जैन हन्नु, दीपक पाल, पवन सिंह, सूरज साह, शांतनु मुखर्जी, बासुदेव मंडल, प्रधान महतो समेत अशोक सामंत, सोनू ठाकुर, सुमित शर्मा, श्वेता कुमारी, गणेश मुंडा समेत अन्य मौजूद रहे।
