जमशेदपुर : ट्राइबल कल्चरल सेन्टर, सोनारी में “हो” भाषा को वर्ष 2011 में झारखंड की राजभाषाओं की सूची में द्वितीय राजभाषा के रूप में मान्यता प्रदान की गयी थी इसी ऐतिहासिक उपलक्ष्य में आदिवासी हो समाज महासभा जिला समिति पूर्वी सिंहभूम के द्वारा “हो” भाषा द्वितीय राजभाषा दिवस के रूप में मनाया गया। मंच संचालन महासभा के सचिव दुर्गा चरण बारी व कार्यक्रम कि अध्यक्षता जिलाध्यक्ष रोशन पुरती ने किया , इस कार्यक्रम की शुभारंभ “हो” भाषा व्हारंग क्षिति लिपि के जनक ओत् गुरु कोल लाको बोदरा जी की प्रतिमा पर फूलों की माला से सुशोभित कर की गयी।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग कोल्हान विश्विद्यालय के संयोजक सुरा बिरूली ने कहा कि “हो” भाषा को द्वितीय राजभाषा तो मिला परंतु सिर्फ कागजों में समाज को एकजुट हो कर सरकार पर दबाव बना कर शिक्षकों कि बहाली करवानी चाहिए।आदिवासी हो समाज महासभा के पदाधिकारियों के द्वारा इस कार्यक्रम में हो भाषा एवं लिपि को ज्यादा से ज्यादा व्यवहार में लाने के
लिए सामाजिक स्तर पर एवं सरकारी व प्रशासनिक दफ्तरों, ऑफिस, संस्था, स्कूल व कॉलेज इत्यादि बोर्डों पर हो लिपि में नामांकित किए जाने के लिए उच्चस्तर पर कार्य करने का निर्णय लिया गया। साथ ही कार्यक्रम में यह भी तय किया गया कि हो भाषा को अधिक से अधिक व्यवहार में जाने के लिए स्कूली स्तर पर हो भाषा पर केंद्रित पू्र्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत आने वाले वैसे स्कूल जिनमें आदिवासी हो छात्र छात्राएँ अध्ययनरत हैं उन विद्यालयों में महासभा द्वारा हो भाषा संबंधित विषयों पर प्रतियोगिता के माध्यम से छात्रों को हो भाषा व लिपि से परिचित करवाने एवं हो भाषा को अपने अध्ययन में शामिल करने के प्रति जागरूक करने का प्रयास करेगी ताकि छात्र एवं छात्राएं स्कूली शिक्षा के समय से ही भाषा एवं लिपि के लिए अनिवार्य रूप से भविष्य में हो भाषा विषय में पढ़ाई एवं प्रतिष्ठा हासिल कर सकें। महासभा द्वारा इस कार्यों को विशेष रूप से पूर्ण करने के लिए प्रतिबद्ध रहेगी और इन कार्यों को अंजाम देने के लिए जल्द ही रिक्त पदों को भरने के लिए समिति का विस्तार करेगी अंत में धन्यवाद ज्ञापन कोषाध्यक्ष हरीश चंद्र तमसोय किया। कार्यक्रम में रोशन पुरती, दुर्गाचरण बारी, हरिश चंद्र तामसोय, शांति सिदू, विश्वजीत लागुरी, सुरा पूरती, माधवी बानसिंह, संजु बिरुआ, संजीव बोदरा, रोशन बारी, अर्जुन जोंको इत्यादि शामिल थे।