जमशेदपुर। सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने राज्य के पुलिस महानिदेशक अजय कुमार सिंह से टेलीफोन पर बातचीत की तथा उनसे कहा कि शास्त्रीनगर उपद्रव के मामले में कई निर्दोष व्यक्तियों को नामदर्ज आरोपी बनाया गया है। अत: वरीय पुलिस पदाधिकारी से इस मामले की जांच कराकर निर्दोष लोगों का नाम हटाया जाये। श्री दास के आग्रह को मानते हुए डीजीपी ने कोल्हान के डीआईजी से मामले की जांच कराने का आश्वासन दिया।
इससे पूर्व श्री दास ने शास्त्रीनगर उपद्रव के सिलसिले में न्यायिक हिरासत में भेजे गये भाजपाजनों से केंद्रीय कारा, घाघीडीह में मुलाकात की। उन्होंने जानना चाहा कि किस परिस्थिति में लाया गया है? कुछ ने जहां यह बताया कि उन्हें ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने पर पकड़ा गया तो विश्व हिन्दू परिषद के पदाधिकारियों ने बताया कि उपद्रव के खिलाफ अधिकारी को ज्ञापन देने गये थे तो उन्हें पकड़ कर बंद कर दिया गया। सर्वाधिक लोगों ने कहा कि उन्हें किस जुर्म में पकड़ा गया है, उन्हें पता नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री ने इन्हें आश्वस्तw किया कि वह उन्हें न्याय दिलाने के लिए हर न्यायसंगत रास्ता निकालेंगे।
श्री दास ने शास्त्रीनगर उपद्रव को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि अगर जिला प्रशासन चाहता तो यह घटना चिंगारी से आग नहीं बनती। दरअसल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन साम्प्रदायिकता के जिस रथ पर सवार होकर तुष्टीकरण की मंजिल तक पहुंचना चाहते हैं, उसमें ऐसी घटनायें होगी हीं। सत्ता के नशे में इन्हें पता ही नहीं कि ये क्या कर रहे हैं । इसी सुनियोजित साजिश का परिणाम है यह शास्त्रीनगर उपद्रव। इसके लिए पहले एक धार्मिक झंडे में प्रतिबंधित मांस बांधे गये। इस हरकत से ध्वजपुजकों के तन-बदन में आग लग गयी। आनन-फानन में बैठक बुलायी गयी। उधर कांग्रेस और झामुमो के लोगों की इफ्तार पार्टी गणेश पूजा मैदान कदमा में चल रही थी। इस पार्टी के लिए प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली गयी थी। इस पार्टी में शामिल लोगों को जब ध्वजपुजकों की बैठक की जानकारी मिली तो वे वहां दल बल के साथ पहुंच गये। बैठक कर रहे लोगों पर पत्थर बसाये गये। वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। बात यहीं तक नहीं रुकी वहां तैनात पुलिस वालों पर भी पथराव किया गया। और फिर क्या-क्या हुआ, सब को पता है।
इस पूरे घटनाक्रम में जिला प्रशासन नींद में विभोर नजर आयी। एक छोटी सी चिंगारी जब आग बन गयी तो प्रशासन ने अपनी कमियों पर पर्दादारी शुरू की। किसी को यहां से गिरफ्तार किया गया, किसी को वहां से। दस सदस्यीय विश्व हिन्दू परिषद का एक प्रतिनिधिमंडल इस घटना के खिलाफ ज्ञापन देने गया तो उन्हें ही धर दबोचा गया। इस हैरतअंगेज घटना ने लौहनगरी को अंधेर नगरी बना दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की है कि डीआईजी अपने पर्यवेक्षण प्रतिवेदन में निर्दोषों को आरोप मुक्त करेंगे।
श्री दास के साथ केंद्रीय कारा पहुंचने वालों में प्रमुख रूप से पूर्व विधायक मेनका सरदार, महानगर भाजपा अध्यक्ष गुंजन यादव, महामंत्री राकेश सिंह, पूर्व जिलाध्यक्ष रामबाबू तिवारी, भुपेन्दर सिंह, विभीषण सरदार, चंचल चक्रवर्ती, संदीप शर्मा बौबी व अन्य शामिल थे।