जमशेदपुर : नारायण प्राइवेट आईटीआई लुपुंगडीह चांडिल में जमशेदजी टाटा जी की जयंती मनाई गई। जिसमें संस्थान के संस्थापक डॉ. जटा शंकर पांडे जी ने कहा कि उनका जन्म 3 मार्च सन् 1839 ई. में गुजरात के एक छोटे से कस्बे नवसारी में हुआ था, उनके पिता जी का नाम नौशेरवांजी व उनकी माता जी का नाम जीवनबाई टाटा था। पारसी पादरियों के अपने खानदान में नौशेरवांजी पहले व्यवसायी थे। भाग्य उन्हें बम्बई ले आया, जहाँ उन्होंने व्यवसाय में कदम रखा। जमशेदजी 14 साल की नाज़ुक उम्र में ही पिताजी का साथ देने लगे। जमशेदजी ने एल्फिंस्टन कॉलेज में प्रवेश लिया और अपनी पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने हीरा बाई दबू से विवाह कर लिया था। वे 1858 ई. में स्नातक हुए और अपने पिता के व्यवसाय से पूरी तरह जुड़ गये। भारत के महान उद्योगपति तथा विश्व प्रसिद्ध औद्योगिक घराने टाटा समूह के संस्थापक थे। टाटा समूह को भारत में सबसे धनवान समूह होने पर उतना गर्व नहीं होगा जितना कि अपने सबसे विश्वासनीय समूह होने पर होगा। 2011 में इक्विटीमास्टर के एक सर्वे में 61% लोगों ने टाटा को सबसे विश्वसनीय कंपनी घोषित किया यही तो टाटा की पहचान है। टाटा ब्रांड का जादू है।
उनका मानना था कि आर्थिक स्वतंत्रता ही राजनीतिक स्वतंत्रता का आधार है। देश के सफल औद्योगीकरण के लिए उन्होंने इस्पात कारखानों की स्थापना की महत्त्वपूर्ण योजना बनायी। ऐसे स्थानों की खोज की जहाँ लोहे की खदानों के साथ कोयला और पानी सुविधा प्राप्त हो सके। अंततः उस समय बिहार के जंगलों में सिंहभूम जिले में वह स्थान जहां इस्पात की दृष्टि से बहुत ही उपयुक्त था उस स्थान को खोज निकाला। विशाल योजनाओं को कार्यान्वित करने के साथ ही टाटा ने पर्यटकों की सुविधा के लिए बम्बई में ताज होटल खड़ा किया। सफल औद्योगिक और व्यापारी होने के अतिरिक्त जमशेदजी उदार चित्त के व्यक्ति थे। इस अवसर पर कॉलेज संस्थान के सदस्य एडवोकेट निखिल कुमार, शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी श्री शांतिराम महतो, जयंत बनर्जी, पवन कुमार महतो, अजय मंडल, कृष्णापद महतो, गौरव कुमार, निमाय मंडल, शिशुमति दास के साथ-साथ कॉलेज के सभी छात्र छात्राएं शामिल रहे।